SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 373
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अष्ट पाहु rata स्वामी विरचित आचार्य कुन्दकुन्द Dod. S/B0 lood Dec 1000 DOOK ROCE आगे कहते हैं कि 'पाप-पुण्य का और बंध-मोक्ष का कारण परिणाम ही है' : पावं हवइ असेसं पुण्णमसेसं च हवइ परिणामा। परिणामादो बंधो मक्खो जिणसासणे दिनो1 ।। ११६।। हो पाप सब व पुण्य सब भी, होता है परिणाम से। परिणाम से ही बंध-मक्ति, जिन के शासन में कही।।११६ ।। 樂崇崇步骤先崇崇樂樂業先崇添馬添事業樂業先勇攀牙樂事業 अर्थ जो कुछ पाप होता है तथा पुण्य होता है वह सब परिणाम ही से होता है तथा बंध और मोक्ष-ये भी परिणाम ही से होते हैं-ऐसा जिनेश्वर देव के शासन-उपदेश, मत में कहा है। भावार्थ पाप-पुण्य और बंध-मोक्ष का कारण परिणाम ही को कहा सो जीव के मिथ्यात्व, विषय-कषाय और अशुभ लेश्या रूप तीव्र परिणाम हों तो उनसे तो पाप का आस्रव-बंध होता है तथा परमेष्ठी की भक्ति एवं जीवों पर दया इत्यादि मंदकषाय शुभ लेश्या रूप परिणाम हों तो उनसे पुण्य का आस्रव-बंध होता है तथा दोनों भावों से रहित शुद्ध ज्ञान-दर्शन रूप परिणाम से मोक्ष होता है और शुद्ध परिणाम 先养养樂業禁禁禁禁禁禁禁禁禁禁禁禁禁 टिO-1. श्रु0 टी0, म0 टी0 व वी0 प्रति' सबमें ही इस गाथा की प्रथम पंक्ति में आए हुए हवइ' पाठ के स्थान पर दोनों ही जगह पयइ' पाठ दिया है। ‘पयइ-पचति' पद के निर्जरा करना व विस्तार करना'-ये दोनों अर्थ होते हैं। 'श्रु0 टी0' में एक अर्थ पाप के व एक अर्थ पुण्य के साथ लगाया है कि परिणाम ही समस्त पाप को पचाता है अर्थात् निर्जरित करता है और परिणाम ही समस्त पुण्य को पचाता है अर्थात् विस्तत करता है, उसकी प्राप्ति कराता है।' 'म0 टी0' में दोनों ही अर्थों को पाप व पुण्य प्रत्येक ही पद के साथ लगाकर ऐसा अर्थ किया है कि मोहयुक्त परिणाम से सर्व पापों की वद्धि व मोह रहित परिणामों से सर्व पापों का नाम होता है। ऐसे ही भ रागयुक्त परिणाम से सर्व पुण्य की वाद्धि और राग रहित परिणामों से सर्व पुण्य का नाश होता है।' 116 業坊業崇勇崇崇明崇明崇崇崇崇崇崇崇明
SR No.009483
Book TitleAstapahud
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaychand Chhabda, Kundalata Jain, Abha Jain
PublisherShailendra Piyushi Jain
Publication Year
Total Pages638
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size151 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy