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आचार्य कुन्दकुन्द
अष्ट पाहड़
स्वामी विरचित
उफाश
दोहा
देव जिनेश्वर सर्व गुरु, वंदौं मन वच-काय ।
जा प्रसाद भवि बोध ले, पालैं जीवनिकाय ।। १ ।।
अर्थ
जिनके प्रसाद से भव्यजीव बोध (ज्ञान) को प्राप्त करके जीवों के समूह की दया पालते हैं उन जिनेश्वर देव और सारे गुरुओं की मन-वचन-काय से वंदना करता
हूँ ।।१।।
इस प्रकार मंगल करके श्री कुन्दकुन्द आचार्यक त प्राक त गाथाबद्ध 'बोधपाहुड'
ग्रन्थ है उसकी देशभाषामय वचनिका लिखते हैं :
४-५ 卐糕糕糕
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華糕卐糕卐糕糕卐業業卐糕糕