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अनुक्रम
1. गाथा विवरण
क्रमांक
विषय
१-२ आचार्य वंदना रूप मंगलाचरण एवं ग्रंथ करने की प्रतिज्ञा
३-४. आयतन आदि ग्यारह स्थलों के नाम ५. आयतन - सामान्य संयमी आयतन है
६. ऋद्धिधारक मुनि महर्षि आयतन हैं।
७. निर्मल ध्यान से सहित मुनिवरव षभ केवलज्ञानी सिद्धायतन है 89. चैत्यग ह-ज्ञानमयी संयमी मुनि ही चैत्यग ह है। १०-११. जिनप्रतिमा-संयमी मुनि जंगम प्रतिमा है १२-१३. ध्रुवसिद्ध थिर प्रतिमा है
१४. दर्शन-जो मोक्षमार्ग को दिखावे वह दर्शन है। १५. अन्तरंग में तो ज्ञानमयी और बाह्य में मुनि का रूप सो दर्शन है
१६. जिनबिम्ब- ज्ञानमयी वीतराग एवं दीक्षा शिक्षा प्रदायक आचार्य ही जिनबिम्ब हैं
१७. ऐसे आचार्य रूप जिनबिम्ब को प्रणामादि करने की प्रेरणा १४. जिनबिम्ब आचार्य ही दीक्षा-शिक्षा देने वाली अरिहंत मुद्रा है ११. जिनमुद्रा - संयम की दढ़ मुद्रा से सहित ज्ञान को स्वरूप में लगाने वाला मुनि ही जिनमुद्रा है
२०. ज्ञान - मोक्षमार्ग का लक्ष्य जो निजस्वरूप, वह ज्ञान से ही प्राप्त होता है अतः ज्ञान को जानने की प्रेरणा
२१. अज्ञानी मोक्षमार्ग के लक्ष्य को नहीं प्राप्त करता इसका दष्टान्त सहित कथन
२२. विनयसंयुक्त ज्ञानी ही मोक्षमार्ग के लक्ष्य को निजात्मस्वरूप को पाता है
२३. जिसके पास मोक्षमार्ग की मतिज्ञानादि रूप सारी सामग्री है। वह मोक्षमार्ग से नहीं चूकता
२४. देव-अर्थ, धर्म और प्रव्रज्या सहित देव अर्थ, धर्म, काम व मोक्ष का कारण ज्ञान देता है
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पष्ठ
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