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गाथा ३०,३२,३३,३६
पाँच महाव्रत हिंसा से विरति अहिंसा महाव्रत है। । असत्य से विरति सत्य महाव्रत है।
अदत्त वस्तु से विरति अचौर्य महाव्रत है।
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अब्रह्म से विरति ब्रह्मचर्य महाव्रत है परिग्रह से विरति अपरिग्रह महाव्रत है।
इन पाँच व्रतों की पच्चीस भावनाएँ होती हैं।
अहिंसा व्रत की पाँच भावनाएँ
सत्य व्रत की पाँच भावनाएँ
क्रोध
भय त्याग
मनो गप्ति
त्याग
आलोकिता भोजन
अनुवीचि भाषण
आदान निक्षेपण
ई
लोभ त्याग
समिति
हास्य' त्याग
परिग्रहत्याग व्रत की पाँच भावनाएँ
मनोज्ञ और अमनोज्ञ
गन्ध
वर्ण
शब्द
इन पंचेन्द्रिय विषयों में रागद्वेषादि का त्याग
स्पर्श)
३-६०