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गाथा २७-२६
अब यहाँ यतिधर्म 4 शुद्ध और निष्कल संयमाचरण का रूप
निरूपण करूँगा।
पाँच
महाव्रत
ये निरागार संयमाचरण चारित्र है।
पाँच इन्द्रियों का संवरण
पाँच महाव्रतों की पच्चीस भावनाएँ
समितियाँ
पाँच
तीन
गुप्तियाँ
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अमनोज्ञ और मनोज्ञ स्त्री-पुत्रादि सजीव
तथा | गृह, स्वर्ण और रजत आदि - अजीव द्रव्यों में जो राग-द्वेष का नहीं करना है
वह पाँच इन्द्रियों का संवर
कहा गया है।
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३-५६