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अष्ट पाहुड़aterat
स्वामी विरचित
आचार्य कुन्दकुन्द
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लिखते हैं:वचनिका
की चारित्रपाहुड़
अब
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दोहा
विगतराग सर्वज्ञ जिन, वंदौं मन-वच-काय। चारित धर्म बखानियो, सांचो मोक्ष उपाय।।१।। कुन्दकुन्द मुनिराज क त, चारित पाहुड ग्रंथ। प्राकत गाथा बंध की, करूं वचनिका पंथ।।२।।
अर्थ जिन्होंने मोक्ष के सच्चे उपाय रूप चारित्र धर्म का वर्णन किया उन वीतराग सर्वज्ञ जिन की मन-वचन-काय से वंदना करके कुन्दकुन्द आचार्यकृत 'चारित्रपाहुड़ ग्रंथ जो कि प्राकृत गाथाबद्ध है उसकी वचनिका करता हूँ।।१-२।।
ऐसे मंगलपूर्वक प्रतिज्ञा करके अब प्राकृत गाथाबद्ध 'चारित्रपाहड़' की देशभाषामय
वचनिका लिखते हैं :崇崇明業戀戀戀戀。戀戀崇明崇崇明崇明崇明