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क्रमांक
पष्ठ
MALALA
विषय २१. संयमाचरण चारित्र के सागार व अनगार भेद एवं उनके स्वरूप का वर्णन
३-२५ २२. सागार संयमाचरण के ग्यारह स्थान (ग्यारह प्रतिमाएँ)
३-२६ २३. सागार संयमाचरण के बारह भेद (बारह व्रत)
३-२६ २४. पाँच अणुव्रत का स्वरूप
३-२८ २५. तीन गुणव्रत का स्वरूप
३-२६ २६. चार शिक्षाव्रत का स्वरूप
३-२६ २७. अनगार संयमाचरण (यतिधर्म) के प्ररूपण की प्रतिज्ञा ३-३० २8. यतिधर्म की सामग्री-पंचेन्द्रिय संवरण आदि
३-३१ २१. पंचेन्द्रिय संवरण का स्वरूप
३-३२ ३०. पाँच महाव्रतों का स्वरूप
३-३२ ३१. इनकी महाव्रत संज्ञा कैसे है
३-३३ ३२. अहिंसा महाव्रत की पाँच भावनाएँ
३-३३ ३३. सत्य महाव्रत की पाँच भावनाएँ
३-३४ ३४. अचौर्य महाव्रत की पाँच भावनाएँ
३-३५ ३५. ब्रह्मचर्य महाव्रत की पाँच भावनाएँ
३-३६ ३६. अपरिग्रह महाव्रत की पाँच भावनाएँ
३-३७ ३७. संयम शुद्धि की कारण–पाँच समिति
३-३७ ३४. निश्चय चारित्र का वर्णन-ज्ञानस्वरूप आत्मा को जानने का उपदेश
३-३८ ३१. सम्यग्ज्ञानपूर्वक निश्चय चारित्र ही मोक्षमार्ग है
३-३६ ४०. रत्नत्रय की श्रद्धापूर्वक ज्ञान से ही निर्वाण की प्राप्ति होती है ३-३६ ४१. ज्ञानजल से विकारमल को धोकर योगियों का शिवालय वास ३-४० ४२. ज्ञान के सिवाय इच्छित लाभ नहीं अतः सम्यग्ज्ञान को जानने का उपदेश
३-४१ ४३. ज्ञानयुक्त चारित्र के धारक को शीघ्र ही अनुपम सुख की प्राप्ति ३-४२ ४४. इष्ट चारित्र के कथन का संकोच
३-४२ ४५. चारित्रपाहुड़ को भाव से भाने का उपदेश और उसका फल ३-४३
2. विषय वस्तु ३-४५5. गाथा चित्रावली ३-४६-६३ 3. गाथा चयन ३-४६-४७ 6. अंतिम सूक्ति चित्र 4. सूक्ति प्रकाश ३-४८
चारित्र पा० समाप्त ३-६४
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