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________________ गाथा - १०७ ४१२ वह, वह तो पर्यायदृष्टि । गुणस्वरूप ही है, वह तो गुणवान, वाला (ऐसा) भेद भी नहीं है, गुणस्वरूप ही है । यहाँ तो यह चीज है, यह एकरूप ध्रुव, एकरूप ध्रुव । वास्तव में तो निश्चय का स्वरूप ही ध्रुव है । यह तो पर्याय है, उत्पाद-व्यय यह सब व्यवहार का विषय है, परन्तु है। दूसरे प्रकार यदि कहें तो यह पारिणामिक है, उसकी ही यह पर्याय है परन्तु यह व्यवहारनय की अपेक्षा से । पारिणामिकस्वभाव है, वह तो निश्चय से एकरूप त्रिकाल, एकरूप त्रिकाल, कम नहीं, विशेष नहीं, परिणमन नहीं, भेद नहीं, परन्तु जो लक्ष्य करनेवाला है, वह पर्याय है। पर्याय से लक्ष्य होता है । करना किसका ? उस द्रव्य का । करे कौन ? पर्याय । ध्रुव तो लक्ष्य करता नहीं, ध्रुव तो एकरूप है। पर्याय का जो अनुभव है, वह 'यह द्रव्य सामान्य है' ऐसा निर्णय करता है। समझ में आया ? = आत्मा पूर्ण ज्ञान, दर्शन, सुख, वीर्य, सम्यक्त्व, चारित्र आदि शुद्ध गुणों का सागर है। लो ! विशेष लिया है। चौथे अविरत सम्यक्त्व गुणस्थान में आत्मा का अनुभव शुरु हो जाता है । इस ओर है, भाई ! वह दूज के चन्द्रमा समान ... यह परमात्मप्रकाश में डाला है भाई ने – दौलतरामजी ने। परमात्मप्रकाश में है । जैसे दूज का चन्द्रमा होता है, उतना अनुभव चौथे से थोड़ा (शुरु ) हो जाता है, वह बढ़ते-बढ़ते पूर्णता को प्राप्त हो जाता है । यह सब पर्यायें हैं, ध्रुव तो ऐसा का ऐसा है, वह है । उसमें कहीं कम ज्यादा होता है - ऐसा है नहीं । केवलज्ञान हो तो वहाँ पर्याय शक्ति कम है और मतिज्ञान हुआ अनन्तवें भाग में तो वहाँ शक्ति अधिक है - ऐसा कुछ है नहीं । वह तो एकरूप त्रिकाल एकरूप है। उस दिन भाई ने कहा, नहीं? उसमें अपने नहीं, लब्धित्रय में । अकलंकदेव ! गुण का लक्षण सदृशता । वह वस्तुकाय एकरूप सदृश... सदृश... सदृश... सदृश... सदृश... उत्पाद-व्यय हैं, वह विसदृश है। सदृश से उल्टा दूसरा विसदृश अर्थात् भाव-अभाव, भाव-अभाव, उत्पाद वह भाव, व्यय वह अभाव । भाव -अभाव । वह भाव-भाव एकरूप सदृशभाव, एकरूप सदृशभाव, यह विसदृशभाव । विसदृश, वह व्यवहारनय का विषय, सदृश वह निश्चयनय का विषय । दोनों एक साथ कहो तो प्रमाण का विषय हो गया। समझ
SR No.009482
Book TitleYogsara Pravachan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year2010
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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