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________________ योगसार प्रवचन ( भाग - १ ) स्वभावरूप कभी परिणमता और होता नहीं है। जड़, रजकण, कर्म - शरीर वे कहीं आत्मा में (नहीं) आते, आत्मारूप नहीं होते। भगवान आत्मा का रूप, रजकण कर्मरूप या शरीररूप नहीं होता। ऐसा समझकर .... ऐसा सत्य है, वैसा समझकर, ऐसा । इस प्रकार ही वस्तु है, ऐसा समझकर ... यह समझकर (कहा) वह नयी समझ की पर्याय हुई। पर्याय अर्थात् अवस्था, नयी अवस्था हुई। यह भगवान, उस विकाररूप नहीं होता । विकार, वह स्वभावरूप नहीं होता, दोनों के बीच का भेदज्ञान होकर, समझकर, जीव! तुहुं अप्पा अप्प मुणेहि । तू अपने को आत्मा जान.... देखो! यह फिर ऐसे अन्दर में लाये । ७७ -- भगवान चैतन्य सूर्य प्रभु, जो विभावरूप नहीं होता, विभाव, स्वभावरूप नहीं होता - ऐसा जानकर तू आत्मा की तरफ देख । तू अपने को आत्मा जान, यथार्थ आत्मा का बोध कर... स्वरूप, शुद्ध स्वरूप भगवान की ओर का झुकाव करके देख कि यह आत्मा, यह आत्मा अकेला ज्ञान का सागर आनन्द की मूर्ति वह आत्मा है। इस प्रकार दो के बीच की समझ करके आत्मा को जान - ऐसा कहते हैं। समझ में आया ? इस प्रकार दो बात की। फिर ऐसे झुक (ऐसा कहा है) । हे जीव! 'तुहुं अप्पा अप्प मुणेहि' तू अपने को आत्मा जान..... ज्ञानानन्द को ज्ञानानन्द जान। शुद्ध भगवान आत्मा को तू आत्मा जान । वह तो ऐसे (अन्दर ) झुक गया । राग को पररूप जाना, स्वभाव स्वभाव है - ऐसा जाना। यह जानकर ज्ञान, स्वभाव में झुका। यह आत्मा है, वह मैं, ऐसा जान ! उसे सम्यग्ज्ञान, सम्यग्दर्शन, स्वरूपाचरण दशा कहते हैं। लो, फिर तीनों आ गये। सम्यग्ज्ञान, सम्यग्दर्शन, स्वरूपाचरण । अद्भुत सूक्ष्म बातें... आहा...हा... ! अन्यत्र जाये तो सब बात समझ में आये - ऐसी लगती है और यह (सुने तो ऐसा लगता है कि यह) क्या कहते हैं ? यही सत्य है, अन्य तो उल्टा घोटाला है। पर की दया पालो – ऐसा कहनेवाले, अपने अतिरिक्त पर के काम कर सकता हूँ, उसका अर्थ कि मुझसे वह जीव पृथक् नहीं है, अर्थात् वह और मैं दोनों एक हैं; इसलिए मैं वहाँ काम कर सकता हूँ, इसलिए उसे और आत्मा को दोनों को एक माना है। समझ में आया ? वह पृथक् और मैं पृथक् .... उसकी दया कौन पाले ? उसकी अवस्था को कौन करे ? जो
SR No.009481
Book TitleYogsara Pravachan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year2010
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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