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________________ ३९२ गाथा-५७ -बत्ती, मन, राग की पुष्टि की आवश्यकता नहीं है – ऐसा कहते हैं। जैसे (रत्न) दीपक को तेल-बत्ती की जरूरत नहीं है, वैसे ही चैतन्य दीपक को मन की और राग की अपेक्षा की जरूरत नहीं है। ऐसा यह चैतन्य दीपक स्वयं से प्रकाशित हो ऐसा है। यह आत्मा किसी पवन से बुझे ऐसा नहीं है। जैसे वह दीपक है, वह पवन से बुझ जाता है। इस राग और शरीर से आत्मा का नाश हो – ऐसा यह नहीं है। अविनाशी वस्तु दीपक के समान ऐसी की ऐसी जलहल ज्योति अनादि-अनन्त देह-देवल में भिन्न विराजमान है। सर्व द्रव्य, क्षेत्र, काल, भावों को एकसाथ झलकानेवाला है। समस्त द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव को एक समय में प्रकाशित करे – ऐसा यह तत्त्व दीपक के समान है। सूर्य का दृष्टान्त – आत्मा के सूर्य के समान प्रकाशमान और प्रतापवान है। कहो, समझ में आया? आत्मा प्रकाशवान्, प्रतापवान है। स्वयं से, प्रताप से शोभता है, अपने प्रकाश से शोभता है। प्रभुता के लक्षण से भरपूर है न तत्त्व? प्रभुता के लक्षण से स्वतन्त्र.... अपने अखण्ड प्रताप से शोभित हो ऐसा यह तत्त्व अनादि है। समझ में आया? सर्व लोकालोक का ज्ञाता-दृष्टा है। जैसे सूर्य सबको बतलाता है (प्रकाशित करता है) तो वह कहीं सबको नहीं बता सकता। यह तो (चैतन्यसूर्य तो) लोकालोक को जाननेवाला है। परम वीर्यवान् है। प्रतापवन्त कहा न? जैसे सूर्य का प्रकाश है, वैसे आत्मा में अनन्त वीर्य है। प्रकाश के साथ अनन्त वीर्य का सूर्य भगवान है । अनन्त बल का सूर्य भगवान आत्मा है। आहा...हा...! समझ में आया? परम शान्त है.... वह सूर्य तो आतापवाला है। यह शान्त, अकषाय, वीतरागस्वभाव से भरपूर सत्त्व तत्त्व है। यह एक अनुपम सूर्य है।वह सूर्य तो साधारण है, ऐसे तो असंख्य सूर्य हैं। यह तो एक ही सूर्य अपना है, अपना हाँ! दूसरे का सबका अलग-अलग। अनुपम सूर्य! वह सूर्य तो शाम को ढंक जाता है; यह किसी दिन नहीं ढंकता। चैतन्यसूर्य प्रकाश का बिम्ब है, वह कब ढंकेगा? द्रव्यस्वभाव कब ढंकेगा? वस्तुस्वभाव कब आच्छादित होगा? ऐसा भगवान (आत्मा) सूर्यसमान चैतन्यबिम्ब, देह में विराजमान है। कोई मेघ या राहु उसे ग्रस नहीं सकता। बादल अथवा राहु, सूर्य को पकड़े यह
SR No.009481
Book TitleYogsara Pravachan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year2010
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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