________________
१६
[ शाकाहार
तकलीफ हो सकती है या दूध के बदले में हम गाय को चारा-पानी देते हैं; उसीप्रकार मुर्गी का अंडा देना भी उसे सुखकर ही होता है तथा अंडा लेने के बदले हम उसका पालन-पोषण भी करते ही हैं। अत: दूध व अंडा समान ही हुए।
उनका यह कहना भी उचित नहीं है; क्योंकि जिसप्रकार अंडा मुर्गी की संतान है, उसप्रकार दूध गाय की संतान नहीं है । अत: सच तो यह है कि अंडा दूध के समान नहीं, गाय के बछड़े के समान है। अतः अंडा खाना बछड़े को खाने जैसा ही है।
इस पर कुछ लोग कहते हैं कि शाकाहारी अंडे से बच्चे का जन्म नहीं हो सकता; अतः वह दूध के समान अजीव ही है, पर यह बात एकदम गलत है; क्योंकि वह मुर्गी के प्रजनन अंगों का उत्पादन है; अतः अशुचि तो है ही साथ ही उत्पन्न होने के बाद भी बढता है, सड़ता नहीं है; अतः सजीव भी है, भले ही पूर्णता को प्राप्त होने की क्षमता उसमें न हो, पर उसे अजीव किसी भी स्थिति में नहीं माना जा सकता है।
दूसरी बात यह भी तो है कि उसका नाम अंडा है, वह अंडाकार है, अंडे के ही रूप-रंग का है; उसके खाने में अंडे का ही संकल्प है। यदि किसी के कहने से उसे अजीव भी मान लिया जाय, तब भी उसके सेवन में अंडे का ही संकल्प होने से मांसाहार का पूरा-पूरा दोष है।
हमारे यहाँ तो आटे के मुर्गे के वध का फल भी नरक- निगोद बताया है; फिर इस साक्षात् अंडे का सेवन कैसे उचित माना जा सकता है ?
अंडा खाने में जो संकोच अभी हमारी वृत्ति में है, एक बार अजीव शाकाहारी अंडे के नाम पर उस संकोच के समाप्त हो जाने पर फिर कौन ध्यान रखता है कि जिस अंडे का सेवन हम कर रहे हैं, वह सजीव है या अजीव ? अंडे को शाकाहारी बताना अंडे के व्यापारियों का षड्यंत्र है, जिसके शिकार शाकाहारी लोग हो रहे हैं।