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प्रतिष्ठा पूजाञ्जलि
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वैशाख शुक्ला प्रतिपदा, सम्मेदगिरि निज ध्याय के। श्री कुन्थुनाथ स्वधाम लीनो, परम पद झलकाय के।। हम धार अर्घ्य महान पूजा, करें गुण मन लाय के।
सब राग दोष मिटाय के, शुद्धात्म मन में भाय के।। ॐ ह्रीं वैशाखशुक्लप्रतिपदायां श्रीकुन्थुनाथजिनेन्द्राय मोक्षकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।।१७।।
अमावसी वद चैत की, सम्मेदगिरि निज ध्याय के। श्री अरनाथ स्वथान लीनो, अमर लक्ष्मी पाय के।। हम धार अर्घ्य महान पूजा, करें गुण मन लाय के।
सब राग दोष मिटाय के, शुद्धात्म मन में भाय के।। ॐ ह्रीं चैत्रकृष्ण-अमावस्यां श्रीअरनाथजिनेन्द्राय मोक्षकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।१८॥
शुभ शुक्ल फाल्गुन पंचमी, सम्मेदगिरि निज ध्याय के। श्री मल्लिनाथ स्वथान पहुँचे, परम पदवी पाय के।। हम धार अर्घ्य महान पूजा, करें गुण मन लाय के।
सब राग दोष मिटाय के, शुद्धात्म मन में भाय के।। ॐ ह्रीं फाल्गुनशुक्लपंचम्यां श्रीमल्लिनाथजिनेन्द्राय मोक्षकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।१९।।
फाल्गुन वदी शुभ द्वादशी, सम्मेदगिरि निज ध्याय के। जिननाथ मुनिसुव्रत पधारे, मोक्ष आनन्द पाय के ।। हम धार अर्घ्य महान पूजा, करें गुण मन लाय के।
सब राग दोष मिटाय के, शुद्धात्म मन में भाय के।। ॐ ह्रीं फाल्गुनकृष्णद्वादश्यां श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्राय मोक्षकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।२०।।
वैशाख कृष्णा चौदशी, सम्मेदगिरि निज ध्याय के। नमिनाथ मुक्ति विशाल पाई, सकल कर्म नशाय के।। हम धार अर्घ्य महान पूजा, करें गुण मन लाय के।
सब राग दोष मिटाय के, शुद्धात्म मन में भाय के।। ॐ हीं वैशाखकृष्णचतुर्दश्यां श्रीनमिनाथजिनेन्द्राय मोक्षकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।२१//