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प्रतिष्ठा पूजाञ्जलि
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जन्मकल्याणकविभूषित चौबीस तीर्थंकरों के लिए अध्य
(चाल) वदि चैत नवमि शुभ गाई, मरुदेवि जने हरषाई।
श्री रिषभनाथ युग आदी, पूनँ भव मेट अनादी ।। ॐ ह्रीं चैत्रकृष्णनवम्यां श्रीवृषभनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अयं ।।१।।
दशमी शुभ माघ वदी को, विजया माता जिनजी की।
उपजे श्री अजित जिनेशा, पूर्जे मेटो सब क्लेशा ।। ॐ ह्रीं माघकृष्णदशम्यां श्रीअजितनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अय॑ ।।२।।
कार्तिक सुदि पूरणमासी, माता सुसैन हुल्लासी।
श्री सम्भवनाथ प्रकाशे, पूजत आपा पर भासे ।। ॐ ह्रीं कार्तिकशुक्लपूर्णिमायां श्रीसंभवनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।३।।
शुभ चौदश माघ सुदी की, अभिनन्दननाथ विवेकी।
उपजे सिद्धार्था माता, पूजूं पाऊँ सुख साता ।। ॐ ह्रीं माघशुक्लचतुर्दश्यां श्रीअभिनन्दननाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।४।।
ग्यारस है चैत सुदी की, मंगला माता जिनजी की।
श्री सुमति जने सुखदाई, पूनँ मैं अर्घ्य चढाई ।। ॐ ह्रीं चैत्रशुक्ल-एकादश्यां श्रीसुमतिनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।५।।
कार्तिक वदी तेरसि जानो, श्री पद्मप्रभ उपजानो।
है मात सुसीमा ताकी, पूजूं ले रुचि समता की। | ॐ ह्रीं कार्तिककृष्णत्रयोदश्यां श्रीपद्मप्रभजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।६।।
शुचि द्वादश जेठ सुदी की, पृथवी माता जिनजी की।
जिननाथ सुपारस जाए, पूनँ हम मन हरषाए।। ॐ ह्रीं ज्येष्ठशुक्लद्वादश्यां श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अy.।।७।।
शुभ पूस वदी ग्यारस को, है जन्म चन्द्रप्रभ जिनको।
धन्य मात सुलखनादेवी, पूजूं जिनको मुनिसेवी।। *हीं कृष्णशुक्लएकादश्यां श्रीचन्द्रप्रभजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्य 14/1