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प्रतिष्ठा पूजाञ्जलि
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अगहन सुदि एकम जाना, जिन मात रमा सुखखाना। ।
श्री पुष्पदंत उपजाए, पूजतहूँ ध्यान लगाये ।। ॐ ह्रीं मार्गशीर्षशुक्लप्रतिपदायां श्रीपुष्पदन्तजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।९।।
द्वादश वदि माघ सुहानी, नंदा माता सुखदानी।
श्री शीतल जिन उपजाए, हम पूजत विघ्न नशाए।। ॐ ह्रीं माघकृष्णद्वादश्यां श्रीशीतलनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अy.।।१०।।
फागुन वदि ग्यारस नीकी, जननी विमला जिनजी की।
श्रेयांसनाथ उपजाए, हम पूजत ही सुख पाए।। ॐ ह्रीं फाल्गुनकृष्णएकादश्यां श्रीश्रेयांसनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्य ।।११।।
वदिफाल्गुन चौदसि जाना, विजया माता सुखखाना।
श्री वासुपूज्य भगवाना, पूजूं पाऊँ जिन ज्ञाना ।। ॐ ह्रीं फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यां श्रीवासुपूज्यजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।१२।।
शुभ द्वादश माघ वदीकी, श्यामा माता जिनजी की।
श्री विमलनाथ उपजाए, पूजत हम ध्यान लगाए।। ॐ ह्रीं माघकृष्णद्वादश्यां श्रीविमलनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।१३।।
द्वादशि वदि जेठ प्रमाणी, सुरजा माता सुखदानी।
जिननाथ अनन्त सुजाए, पूजत हम नाहिं अघाए। ॐ ह्रीं ज्येष्ठकृष्णद्वादश्यां श्रीअनन्तनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अy ॥१४।।
तेरसि सुदि माघ महीना, श्री धर्मनाथ अघ छीना।
माता सुव्रता उपजाए, हम पूजत ज्ञान बढाए।। ॐ ह्रीं माघशुक्लत्रयोदश्यां श्रीधर्मनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अय॑ ।।१५।।
वदि चौदस जेठ सुहानी, ऐरा देवी गुन खानी।
श्री शान्ति जने सुख पाए, हम पूजत प्रेम बढाए ।। ।। ॐ ह्रीं ज्येष्ठकृष्णचतुर्दश्यां श्रीशान्तिनाथजिनेन्द्राय जन्मकल्याणकप्राप्ताय अर्घ्यं ।।१६।।