________________
प्रतिष्ठा पूजाञ्जलि
125
जजों लैके अर्घ्य मात देवी द्वन्द चरणा,
कटें जासे हमरे सकल कर्म लेहु शरणा।। ॐ ह्रीं श्री माघकृष्णषष्ट्यां सुसीमागर्भावतरिताय पद्मप्रभायायँ निर्वपामिति स्वाहा ।।६।।
(धोदका) भादव शुक्ल छठी तिथि जानी, गर्भ धरे पृथ्वी महरानी।
श्री सुपार्श्व जिननाथ पधारे, जणूं मात दुःख टाल हमारे ।। ॐ ह्रीं श्री भाद्रपदशुक्लषष्ट्यां वसुन्धरागर्भावतरिताय सुपार्श्वदेवायायँ नि.स्वाहा ।।७।।
(शिखरिणी) सुभग चैतर महिना असित पख में पांचम दिना, सुलखना माता ने गर्भ धारे चन्द्र सु जिना। जजौं लैके अर्घ्य मात जिनके शुद्ध चरणा,
कटें जासे हमारे सकल कर्म लेहु शरणा।। ॐ ह्रीं श्री चैत्रकृष्णपंचम्यां सुलक्षणागर्भावतरिताय चन्द्रप्रभायायँ नि. स्वाहा ।।८।।
(सोरठा) पुष्पदन्त भगवान, मात रमा के अवतरें।
फागुन नौमि महान, जजै मात के चरण जुग ।। | ॐ ह्रीं श्री फाल्गुनकृष्णनवम्यां रमादेविगर्भावतरिताय पुष्पदंतायावँ नि.स्वाहा ।।९।।
(चाली) वदि चैत तनी छठ जानी, शीतल प्रभु उपजे ज्ञानी।
नंदा माता हरखानी, पूनँ देवी उर आनी।। ॐ ह्रीं श्री चैत्रकृष्णषष्ठयां सुनंदागर्भावतरिताय शीतलायायँ नि. स्वाहा ।।१०।।
वदी जेठ तनी छठि जानी, विष्णुश्री मात बखानी।
श्रेयांसनाथ उपजाए, पूनँ देवी उर आनी ।। ॐ ह्रीं श्री ज्येष्ठकृष्णषष्ट्यां विष्णुश्रीगर्भावतरिताय श्रेयांसनाथायावँ नि. स्वाहा।।११।।
आषाढ़ वदी छठि गाई, श्री वासुपूज्य जिनराई।
सुजया माता हरखानी, पूनँ ता पद उर आनी।। *हीं श्री आषाढकृष्णषष्ठ्यां जयावतिगर्भावतरिताय वासुपूज्यायायँ नि. स्वाहा।।१२।।