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प्रतिष्ठा पूजाञ्जलि
LL आषाढ़ वदि दुतिया दिना सब इन्द्र पूजें आयके, ।।
हम हूँ करें पूजा सुमाता गुण अपूरव ध्याय के।
ॐ ह्रीं श्री आषाढकृष्णपक्षे द्वितीयायां मरुदेविगर्भावतरिताय वृषभदेवायाऱ्या निर्वपामीति स्वाहा ।।१।।
(दोहा) जेठ अमावस सार दिन, गर्भ आय अजितेश । विजया माता हम जजें, मेटें सर्व कलेश ।।
ॐ ह्रीं श्री ज्येष्ठकृष्णाऽमावस्यायां विजयसेनागर्भावतरितायाजितदेवायार्थ्य निर्वपामीति स्वाहा ।।२।।
(संकर) फागुन असित सित अष्टमी को गर्भ आए नाथ, धन पुण्य मात सुसैन का संभव धरे सुख साथ । उपकार जग का जो भया, सुरगुरु कथत थक जाय,
हम ल्याय के शुभ अर्घ्य पूजैं विघ्न सब टल जाय ।। ॐ हीं श्री फाल्गुनशुक्लाष्टम्यां सुषेणागर्भावतरिताय संभवदेवायायँ नि. स्वाहा ।।३।।
(गाथा) गर्भस्थिति अभिनन्दा, वैसाख सित अष्टमी दिना सारा ।
सिद्धार्था शुभ माता, पूनँ चरण सुजान उपकारा ।। ॐ ह्रीं श्री वैशाखशुक्लाष्टम्यां सिद्धार्थागर्भावतरिताय सुमतिदेवायायँ नि.स्वाहा ।।४।।
(सोरठा) श्रावण सित पख आप, मात मंगला उर वसे ।
श्री सुमतीश जिनाय, पूनँ माता भाव सों।। | ॐ ह्रीं श्री श्रावणशुक्लद्वितीयायां मंगलागर्भावतरिताय सुमतिदेवायायँ नि. स्वाहा ।।५।।
(शिखरिणी) वदी षष्ठी जानो सुभग महिना माघ सुदिना, सुसीमा माता के गर्भ तिष्ठै पद्म सु जिना।
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