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________________ प्रकाशकीय (ग्यारहवाँ संस्करण) डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल की महत्त्वपूर्ण कृति 'पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव' का हिन्दी भाषा में यह ग्यारहवाँ संस्करण प्रकाशित करते हुए हमें अतीव प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इसके गुजराती एवं मराठी भाषा में भी अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। सर्वप्रथम यह कृति ईस्वी सन् 1990-91 में वीतराग - विज्ञान के दिसम्बर-जनवरी के संयुक्तांक में विशेषांक के रूप में 6 हजार 100 की संख्या में प्रकाशित हुई थी। साथ ही 21 दिसम्बर, 1990 में 15 हजार 200 पुस्तकाकार प्रकाशित हुई। यह कृति अबतक इस संस्करण को मिलाकर हिन्दी में ग्यारह संस्करणों के रूप में 63 हजार 300 तथा मराठी में दो संस्करणों में 8 हजार और गुजराती में तीन संस्करणों में 6 हजार - इसप्रकार सोलह वर्ष के काल में कुल मिलाकर 77 हजार 300 की संख्या में प्रकाशित हो चुकी है। इस कृति की लोकप्रियता का इससे बड़ा प्रत्यक्ष प्रमाण और क्या होगा ? इस कृति के निर्माण की भी एक कहानी है। पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट से संबंधित विद्वानों द्वारा अब तक सताधिक पंचकल्याणक देश के विभिन्न भागों में आशातीत सफलता के साथ कराये जा चुके हैं। पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट के माध्यम से जो भी पंचकल्याणक कराये जाते हैं, उनमें डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल निश्चितरूप से पधारते ही हैं और पंचकल्याणकों के मुख्य आकर्षण भी पंचकल्याणक प्रसंगों पर होनेवाले उनके व्याख्यान ही होते हैं। वे पंचकल्याणक प्रसंगों को इतने मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करते हैं, इसप्रकार समझाते हैं कि पंचकल्याणक का स्वरूप स्पष्ट होने के साथसाथ वातावरण भी एकदम शान्त और वैराग्यमय हो जाता है। पंचकल्याणक के संदर्भ में होनेवाले उनके व्याख्यानों के प्रकाशन की माँग लगातार बनी हुई थी; किन्तु समयाभाव के कारण उनका व्यवस्थित लेखन नहीं हो पा रहा था, बात टलती ही जा रही थी; किन्तु श्री टोडरमल स्मारक भवन, बापूनगर, जयपुर में नवनिर्मित त्रिमूर्ति जिनालय की प्रतिष्ठा के निमित्त से डॉ. भारिल्ल के ही निर्देशन में तथा पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट के तत्त्वावधान में 1990 के दिसम्बर माह में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव कराने का निर्णय लिया गया तो ट्रस्ट द्वारा उनसे आग्रहपूर्वक अनुरोध किया गया कि इस अवसर पर पंचकल्याणकों के संदर्भ में आपकी प्रस्तावित पुस्तक प्रकाशित होनी ही चाहिए। परिणामस्वरूप प्रस्तुत कृति का निर्माण हुआ, जो आज
SR No.009467
Book TitlePanchkalyanak Pratishtha Mahotsava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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