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तीसरा दिन
आज पंचकल्याणक का तीसरा दिन है। आज गर्भकल्याण की पूर्व क्रिया का कार्यक्रम होगा। गर्भकल्याणक तो कल होगा, पर आज गर्भकल्याणक के भी पहले होने वाली कुछ आवश्यक क्रियायें सम्पन्न होंगी ।
जब तीर्थंकर का जीव माता के गर्भ में आता है, तब उसके पूर्व माता को रात्रि के अन्तिम प्रहर में सोलह सपने आते हैं, जो इस बात के सूचक होते हैं कि माता के गर्भ में तीर्थंकर का जीव आने वाला है।
आज रात को वही सोलह स्वप्नों का दृश्य दिखाया जायगा । उसमें सब बातें प्रतिष्ठाचार्यों द्वारा स्पष्ट की जावेंगी ।
यह तो आप जानते ही हैं कि जब भी कोई महान कार्य सम्पन्न होता है तो वह ऐसे ही सम्पन्न नहीं हो जाता। पहले वह हमारे सपनों में आता है, हम सपने सजाते हैं, हमारे मानस का निर्माण भी उसीप्रकार का होता है, वह निरन्तर हमारे चिन्तन का विषय बनता है, हम उसमय हो जाते हैं, तब कहीं कोई महान कार्य सम्पन्न होता है। हर कार्य की एक भूमिका होती है।
ताजमहल जमीन पर बनने के पहले किसी के सपनों में बना होगा, किसी के कल्पनाजगत में अवतरित हुआ होगा। उसके बाद नक्शे के रूप में कागज पर आया होगा, तब कहीं जाकर जमीन पर बना होगा ।
कैसे होंगे वे माता-पिता, जिनके आंगन में तीर्थंकर का अवतार होगा ? कैसा होगा वह नगर, जहाँ तीर्थंकर का जन्म होगा और कैसे होंगे वे नागरिक, जिन्हें तीर्थंकरों के सत्समागम का लाभ प्राप्त होगा ? हमें इस बात की कल्पना करनी चाहिए, यह बात हमारे विचार की वस्तु बननी चाहिए। यह बात हमारे सपनों की वस्तु बननी चाहिए।