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________________ 158 निर्विकल्प आत्मानुभूति के पूर्व दुर्लभ है अत: एकमात्र जिनवाणी ही शरण है। तात्पर्य यह है कि जिनवाणी के अध्ययन में भी मात्र वे ही कथन प्रयोजनभूत जानकर ग्रहण करना चाहिये, जिनके अपनाने से परिणति में वीतरागता उत्पन्न हो। जिनवाणी में कथन तो अनेक अपेक्षाओं को लेकर अनेक प्रकार के आते हैं। अपनी बुद्धि की एवं जीवन की अल्पता के कारण, सब कथनों का समझना तो शक्य हो नहीं सकता। इसलिये उनमें से प्रयोजनभूत कथनों के ग्रहण करने में सतर्क रहते हुए ग्रहणकर लेना चाहिये बाकी को गौण रखना चाहिये। ताकि अपने जीवन काल में अपना उद्देश्य सफल होकर आत्मानुभूति प्रगट हो सके। सुखी होने का उपाय पुस्तकमाला एवं प्रस्तुत पुस्तक में उपरोक्त पद्धति ही अपनाई गई है। इसलिये मुझे पूर्ण विश्वास है कि उपरोक्त मार्ग ही सत्यार्थ मार्ग है, अपने ध्येय को प्राप्त करानेवाला एवं उद्देश्य को प्राप्त करानेवाला, और आगम सम्मत मार्ग है। अनन्त तीर्थंकरों ने इसी मार्ग का उपदेश किया है और यही मार्ग अपनाकर पूर्ण दशा प्राप्त की है। अत: उपरोक्त मार्ग निर्दोष एवं पूर्ण सत्यार्थ होने से नि:शंक होकर स्वीकार करने योग्य है। मैंने भी इसी मार्ग को अपनाया है और अपने अनुभव के आधार पर सभी आत्मार्थी बन्धुओं को यही मार्ग अपनाने के लिये निवेदन भी है। विश्वास है आत्मार्थी बन्धु उपरोक्त मार्गको अपनाकर, अपनी अतपरिणति में प्रयोग कररुचि की उग्रता एवं परिणति की शुद्धतापूर्वक, त्रिकाली ज्ञायक ध्रुवतत्त्व में अपनत्व स्थापन कर, मिथ्यात्व अनन्तानुबंधी का अभावकर, निर्विकल्प आत्मानुभूति प्रगटकर जीवन सफल करें। इसी मंगल भावना के साथ विराम लेता हूँ। -नेमीचन्द पाटनी निर्विकल्प आत्मानुभूति के पूर्व 159 प्रस्तुत संस्करण की कीमत कम करने वाले दातारों की सूची 1. श्री नागेन्द्रकुमारजी पाटनी, आगरा 2001.00 2. श्रीमती कलावती कंचनबाई पाटनी फै. चै. ट्रस्ट, मुम्बई 2001.00 3. श्रीमती सन्तोषरानी पाटनी ध.प. श्री सुखदयालजी देवड़िया, केसली 251.00 4. श्रीमती रश्मी वीरेश कासलीवाल, सूरत 251.00 5. श्रीमती पतासीदेवी इन्द्रचन्दजी पाटनी, लॉडनू 251.00 6. श्रीमती सोहनदेवी ध.प.स्व. तनसुखलालजी पाटनी, गोहाटी 251.00 7. श्री बाबूलालजी राजेशकुमारजी पाटनी, गोहाटी 251.00 8.श्रीमती भंवरीदेवी ध.प. स्व. श्री घीसालालजी छाबड़ा , सीकरवाले 251.00 9. श्री विमलकुमारजी जैन 'नीरू केमिकल्स', दिल्ली 251.00 10. श्री सुमतिलालजी जैनावत, इन्दौर 251.00 11. श्री मगनमल सौभाग्यमल पाटनी फै.चै. ट्रस्ट, मुम्बई 251.00 12. श्रीमती श्रीकान्ताबाई ध.प. श्री पूनमचन्दजी छाबड़ा, इन्दौर 251.00 13. श्री शान्तिनाथ सोनाज, अकलूज 251.00 14. श्री मोलड़मल शोसिंह राय जैन एण्ड सन्स, अग्रवाल मण्डी 251.00 15.श्री जीवनमलजी जेठमलजी अजमेरा, भीलवाड़ा 251.00 16. श्री मांगीलालजी अर्जुनलालजी छाबड़ा, इन्दौर 251.00 17. स्व. ऋषभकुमार जैन पुत्र श्री सुरेशकुमारजी जैन, पिड़ावा 201.00 18. श्री सुरेशचन्दजी सुनीलकुमारजी जैन, बैंगलोर 201.00 19. श्री प्रेमचन्दजी जैन, सोनीपत सिटी 201.00 20. श्री माणकचन्दजी पाटनी, गोहाटी 201.00 21. श्रीमती रामस्वरूपीदेवी ध.प.पं. धन्नालालजी जैन 201.00 22. श्रीमती स्नेहलतादेवी शान्तिलालजी चौधरी, भीलवाडा 111.00 23. श्रीमती पानादेवी मोहनलालजी सेठी, गोहाटी 101.00 कुल राशि : 8733.00
SR No.009463
Book TitleNirvikalp Atmanubhuti ke Purv
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Patni
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2000
Total Pages80
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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