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________________ णमोकार महामंत्र : एक अनुशीलन जाता है। ___ यदि ऐसा है तो फिर हम सभी लोग प्रतिदिन इसे बोलते ही हैं; अत: हमारे पुराने सभी पापों का नाश हो जाना चाहिए था, पर ऐसा तो दिखाई नहीं देता है; क्योंकि प्रतिदिन णमोकार महामंत्र बोलनेवालों के भी पाप का उदय देखा जाता है, पाप के उदय में उन्हें अनेक प्रतिकूलताओं का सामना भी करना पड़ता है। यह सब हम प्रतिदिन देखते हैं, प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं। इससे बचने के लिए यदि यह कहा जाए कि हमें इस पर पक्का भरोसा नहीं है, विश्वास नहीं है; अत: हमारे पापों का नाश नहीं होता है। ___ अरे भाई, न सही हमें विश्वास, पर क्या किसी को भी विश्वास नहीं है? लाखों लोग प्रतिदिन णमोकार महामंत्र बोलते हैं और लगभग सभी के थोड़ाबहुत पाप का उदय देखने में आता ही है। पाप के उदय में प्रतिकूलताएँ भोगते हम सभी को सदा देखते ही हैं। जाने दो णमोकार महामंत्र बोलनेवालों को, पर णमोकार महामंत्र में जिन्हें नमस्कार किया गया है, उन्हें भी तो पापोदय देखने में आता है। हमारे वीतरागी सन्तों पर जो उपसर्ग होते हैं, वे सभी पापोदय के ही तो परिणाम हैं। जब उनके ही पापों का नाश नहीं हुआ तो उनका नाम लेने से हमारे पापों का नाश कैसे होगा? यह एक ऐसा प्रश्न है जो प्रत्येक विचारक के हृदय को आन्दोलित करता है। इस पर गम्भीरता से विचार करते हैं तो यही प्रतीत होता है कि जो व्यक्ति जिस समय इस महामंत्र का भावपूर्वक, समझपूर्वक स्मरण करता है, उसके हृदय में उस समय कोई पापभाव उत्पन्न ही नहीं होता, यही सब पापों का नाश होना है अथवा शुभभाव के काल में पूर्वबद्ध कर्मों के होनेवाले संक्रमणादि को भी लिया जा सकता है। प्रश्न :- यदि उस समय पापभाव उत्पन्न नहीं होते' मात्र इतना ही आशय है तो फिर सब पापों के नाश की बात क्यों कही गई है ?
SR No.009460
Book TitleNamokar Mahamantra Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2009
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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