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________________ प्रकरण तीसरा प्रश्न 67 - व्यक्त और अव्यक्त पदार्थों के कितने भेद हैं ? उत्तर - प्रत्येक बारह-बारह भेद हैं - बहु, एक, बहुविध, एकविध, क्षिप्र, अक्षिप्र, निःसृत, अनिःसृत, उक्त, अनुक्त, ध्रुव, अध्रुव। प्रश्न 68 - चारित्र गुण की शुद्ध पर्यायें कौन-कौनसी हैं? उत्तर - चार हैं - स्वरूपाचरणचारित्र, देशचारित्र, सकल - चारित्र और यथाख्यातचारित्र प्रश्न 69 - स्वरूपाचरणचारित्र किसे कहते हैं ? उत्तर - निश्चयसम्यग्दर्शन होने पर आत्मानुभवपूर्वक आत्मस्वरूप में, अनन्तानुबन्धी कषायों के अभावस्वरूप जो स्थिरता होती है, उसे स्वरूपाचरणचारित्र कहते हैं। प्रश्न 70 - देशचारित्र किसे कहते हैं ? उत्तर - निश्चयसम्यग्दर्शनसहित चारित्र गुण की कुछ विशेष शुद्धि होने पर (अनन्तानुबन्धी - अप्रत्याख्यानावरणीय कषायों के अभावपूर्वक) उत्पन्न आत्मा की शुद्धि विशेष को देशचारित्र कहते हैं। [इस श्रावकदशा में व्रतादिरूप शुभभाव होते हैं। शुद्ध देश चारित्र से धर्म होता है और व्यवहार से व्रत से बन्ध होोत है। निश्चयचारित्र के बिना सच्चा व्यवहारचारित्र नहीं हो सकता।] प्रश्न 71 - सकलचारित्र किसे कहते हैं ? उत्तर - निश्चयसम्यग्दर्शनसहित चारित्र गुण की शुद्धि की वृद्धि होने पर (अनन्तानुबन्धी आदि तीन कषायों के अभावपूर्वक)
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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