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प्रकरण तीसरा
वह स्कन्ध से पृथक् होता है, तब शुद्ध होता है, किन्तु जब पुनः स्कन्धरूप परिणमित होता है, तब वह अशुद्ध हो जाता है।
प्रश्न 24 - सवा पाँच सौ धनुष की बड़ी अवगाहनावाले (आकारवाले) सिद्ध भगवन्तों को अधिक आनन्द और छोटी अवगाहनावाले सिद्धों को कम आनन्द - ऐसा होता होगा?
उत्तर - नहीं, क्योंकि सिद्धों का आनन्द तो सुख गुण की स्वभावअर्थपर्याय है, इसलिए सर्व सिद्ध भगवन्तों को सदैव एकसा ही अनन्त सुख (आनन्द) होता है। सुख का व्यञ्जनपर्याय (क्षेत्र / आकार) के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है।
प्रश्न 25 - द्रव्य, गुण और पर्याय - इन तीनों में सत् कौन है?
उत्तर - तीनों सत् हैं । सत् द्रव्य, सत् गुण और सत् पर्याय - इस प्रकार सत् गुण का विस्तार है; उसमें सदृश सामान्य सत् द्रव्य तथा गुण नित्य सत् और पर्याय एक समय पर्यन्त अनित्य सत् है।
(-प्रवचनसार, गाथा 107) प्रश्न 26 - उत्पाद किसे कहते हैं ? उत्तर - द्रव्य में नवीन पर्याय की उत्पत्ति को उत्पाद कहते हैं। प्रश्न 27 - व्यय किसे कहते हैं ? उत्तर - द्रव्य के पूर्व पर्याय के त्याग को व्यय कहते हैं। प्रश्न 28 - ध्रौव्य किसे कहते हैं ?
उत्तर - प्रत्यभिज्ञान के कारणभूत द्रव्य की किसी अवस्था की नित्यता को ध्रौव्य कहते हैं। 1. स्मृति और प्रत्यक्ष के विषयभूत पदार्थों में एकरूप ज्ञान को प्रत्यभिज्ञान कहते
हैं; जैसे कि - यह वही व्यक्ति है, जिसे कल देखा था।