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प्रकरण तीसरा
उसे स्वभावव्यञ्जनपर्याय कहते हैं; जैसे कि - सिद्ध भगवान का आकार।
प्रश्न 6 - विभावव्यञ्जनपर्याय किसे कहते हैं ?
उत्तर - परनिमित्त के सम्बन्धवाले द्रव्य का जो आकार हो, उसे विभावव्यञ्जनपर्याय कहते हैं; जैसे कि - जीव की नर - नरकादि पर्यायें।
प्रश्न 7 - अर्थपर्याय किसे कहते हैं?
उत्तर - प्रदेशत्व गुण के अतिरिक्त शेष सम्पूर्ण गुणों के विशेष कार्य को अर्थपर्याय कहते हैं।
प्रश्न 8 - अर्थपर्याय के कितने भेद हैं ? उत्तर - दो भेद - स्वभावअर्थपर्याय और विभावअर्थपर्याय। प्रश्न 9 - स्वभावअर्थपर्याय किसे कहते हैं ?
उत्तर - परनिमित्त के सम्बन्धरहित जो अर्थपर्याय होती है, उसे स्वभावअर्थपर्याय कहते हैं, जैसे कि जीव की केवलज्ञानपर्याय।
प्रश्न 10 - विभावअर्थपर्याय किसे कहते हैं ?
उत्तर - परनिमित्त के सम्बन्धवाली जो अर्थपर्याय होती है, उसे विभावअर्थपर्याय कहते हैं, जैसे कि जीव को राग-द्वेषादि।
प्रश्न 11 - किन-किन द्रव्यों में कौन-कौन सी पर्यायें होती हैं?
उत्तर - (अ) जीव और पुद्गलद्रव्यों में चार पर्यायें होती हैं - (1) स्वभावअर्थपर्याय, (2) विभावअर्थपर्याय, (3) स्वभावव्यञ्जनपर्याय, (4) विभावव्यञ्जनपर्याय।