________________
सर्वज्ञदेव कथित छहों द्रव्यों की स्वतन्त्रतादर्शक
सामान्य गुण
(1) अतिस्तत्व गुण -
मिथ्यात्ववश जो मानता 'कर्ता जगत भगवान को', वह भूलता है लोक में अस्तित्वगुण के ज्ञान को; उत्पाद व्यययुत वस्तु है फिर भी सदा ध्रुवता धरे, अस्तित्वगुण के योग्य से कोई नहीं जग में मरे ॥ 1 ॥ ( 2 ) वस्तुत्व गुण -
वस्तुत्वगुण के योग से हो द्रव्य में स्वक्रिया, स्वाधीन गुण - पर्याय का ही पान द्रव्यों ने किया; सामान्य और विशेषता से कर रहे निज काम को, यों मानकर वस्तत्व को पाओ विमल शिवधाम को ॥ 2 ॥
( 3 ) द्रव्यत्व गुण
द्रवत्वगुण इस वस्तु को जग में पलटता है सदा, लेकिन कभी भी द्रव्य तो तजता न लक्षण सम्पदा; स्व-द्रव्य में मोक्षार्थी ही स्वाधीन सुख लो सर्वदा, हो नाश जिससे आज तक की दुःखदायी भवकथा ॥ 3 ॥