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श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला
उत्तर - नहीं, क्योंकि धर्मास्तिकाय स्वयं सदैव स्थिर है, इसलिए उसके गुण भी गति करते ही नहीं; वे तो स्वयं गमनरूप परिणमित होनेवाले जीवों- पुद्गलों को ही गति में निमित्त हैं।
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प्रश्न 129- आकाश, धर्मद्रव्य और कालद्रव्य तो स्थिर हैं, तो क्या उन्हें अधर्मद्रव्य का निमित्त है ?
उत्तर - नहीं, क्योंकि वे कभी भी गतिपूर्वक स्थिर रहनेवाले द्रव्य नहीं हैं, किन्तु त्रिकाल स्थिर हैं ।
प्रश्न 130 - स्वयं अपने को तथा पर को निमित्त हों- ऐसे द्रव्य कौन-से हैं ?
उत्तर - आकाश और कालद्रव्य ।
प्रश्न 131
भूकम्प, समुद्र में आनेवाला ज्वार-भाटा, ज्वालामुखी पर्वत का फटना, लावा, रस का प्रवाह - इनका यथार्थ कारण क्या है ?
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उत्तर - वे सब पुद्गलद्रव्य की स्कन्धरूप पर्यायें हैं और उन-उन द्रव्यों के द्रव्यत्व गुण तथा क्रियावतीशक्ति के कारण वे अवस्थाएँ होती हैं ।
प्रश्न 132 - पेट्रोल खत्म हुआ और मोटर रुक गयी, उसमें मोटर रुकने का कारण क्या ?
उत्तर - मोटर उस काल की अपनी क्रियावतीशक्ति के स्थिरतारूप परिणाम के कारण रुकी है, उसमें पेट्रोल खत्म होना तो निमित्तमात्र है ।
प्रश्न 133 - रेलगाड़ी भाप से चलती है, यह ठीक है ?