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________________ प्रकरण दूसरा उत्तर - दस भेद हैं - पाँच इन्द्रियाँ, तीन बल, श्वासोच्छ्वास और आयु। [यह पुद्गलद्रव्य की पर्यायें हैं। इन द्रव्यप्राणों के संयोग -वियोग से जीवों की जीवन-मरणरूप दशा व्यवहार से कहलाती है।] प्रश्न 114 - भावप्राण किसे कहते हैं ? उत्तर - चैतन्य और [भाव] बलप्राण को भावप्राण कहते हैं। प्रश्न 115 - भावप्राण के कितने भेद हैं ? उत्तर - दो भेद हैं - भावेन्द्रिय और बलप्राण । यह भेद संसारी जीवों में है। भावेन्द्रियाँ सब चेतन है और वे ज्ञान की मतिरूप पर्यायें हैं। भाव बलप्राण जीव के वीर्य गुण की पर्याय है और द्रव्य बलप्राण पुद्गलों की पर्याय है। प्रश्न 116 - भावेन्द्रिय के कितने भेद हैं ? उत्तर - पाँच भेद हैं - जीव की भाव, स्पर्शनेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, चक्षुन्द्रिय और कर्णेन्द्रिय - वे लब्धि और उपयोगरूप हैं। प्रश्न 117 - भाव बलप्राण के कितने भेद हैं ? उत्तर - तीन भेद हैं, मनबल, वचनबल, और कायबल। प्रश्न 118 - वैभाविक शक्ति किसे कहते हैं ? उत्तर - वह एक विशेष भाववाला गुण है। उस गुण के कारण परद्रव्य (निमित्त) के सम्बन्धपूर्वक स्वयं अपनी योग्यता से अशुद्ध पर्यायें होती हैं।
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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