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________________ श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला प्रश्न 97 - मतिज्ञान किसे कहते हैं ? उत्तर - (1) पराश्रय की बुद्धि छोड़कर दर्शनोपयोगपूर्वक स्वसन्मुखता से प्रगट होनेवाले निज आत्मा के ज्ञान को मतिज्ञान कहते हैं । (2) जिसमें इन्द्रिय और मन निमित्तमात्र हैं - ऐसे ज्ञान को मतिज्ञान कहते हैं । प्रश्न 98 - श्रुतज्ञान किसे कहते हैं ? 53 उत्तर अन्य पदार्थ को जाननेवाले ज्ञान को श्रुतज्ञान कहते हैं । 2 (1) मतिज्ञान से जाने हुए पदार्थ के सम्बन्ध से (2) आत्मा की शुद्ध अनुभूतिरूप श्रुतज्ञान को भावश्रुतज्ञान कहते हैं । प्रश्न 99 - अवधिज्ञान किसे कहते हैं ? उत्तर- द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की मर्यादापूर्वक जो रूपी पदार्थों को स्पष्ट जानता है, उसे अवधिज्ञान कहते हैं । प्रश्न 100 मन:पर्ययज्ञान किसे कहते हैं ? उत्तर - द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की मर्यादापूर्वक अन्य के मन में तिष्ठते हुए रूपी पदार्थ सम्बन्धी विचारों को तथा रूपी पदार्थों को स्पष्ट जानता है, उसे मन:पर्ययज्ञान कहते हैं । ( श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मन:पर्ययज्ञान और केवलज्ञान से सिद्ध होता है कि प्रत्येक द्रव्य में क्रमबद्धपर्याय होती है - आगे पीछे नहीं होते ।) प्रश्न 101 - केवलज्ञान किसे कहते हैं ?
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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