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श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला
तथा क्षय को आत्मा के कौन से परिणाम निमित्त कारण हैं ?
उत्तर - अध:करण, अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरण - यह तीन परिणाम निमित्तकारण है ।
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प्रश्न 111 - अध: करण परिणाम किसे कहते हैं ?
उत्तर- जिस करण में (परिणाम समूह में ) उपरितन समयवर्ती तथा अधस्तन समयवर्ती जीवों के परिणाम सदृश और विसदृश हो, उसे अध: करण कहते हैं । वह अधःकरण सातवें गुणस्थान में होता है।
प्रश्न 112- अपूर्वकरण परिणाम किसे कहते हैं ?
उत्तर- जिस करण में उत्तरोत्तर अपूर्व - अपूर्व परिणाम होते जाएँ अर्थात् भिन्न समयवर्ती जीवों के परिणाम सदैव विसदृश ही हों और एक समयवर्ती जीवों के परिणाम सदृश भी हों तथा विसदृश भी हों, उसे अपूर्वकरण कहते हैं और वही आठवाँ गुणस्थान है।
प्रश्न 113 - अनिवृत्तिकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर- जिस करण में भिन्न समयवर्ती जीवों के परिणाम विसदृश ही हों और एक समयवर्ती जीवों के परिणाम सदृश ही हों, उसे अनिवृत्तिकरण कहते हैं; यही नववाँ गुणस्थान है।
- इन तीनों करणों के परिणाम प्रति समय अनन्तगुनी विशुद्धता सहित होते हैं ।
प्रश्न 114 - सूक्ष्मसाम्पराय गुणस्थान का क्या स्वरूप है ? उत्तर - अत्यन्त सूक्ष्म अवस्था को प्राप्त लोभ कषाय के उदय के वश होनेवाले जीव को सूक्ष्म साम्पराय नामक दसवाँ गुणस्थान प्राप्त होता है।