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________________ 400 प्रश्न 104 - श्रेणी के कितने भेद हैं ? उत्तर उसके दो भेद हैं - (2) क्षपक श्रेणी । - प्रकरण दसवाँ (1) उपशमश्रेणी और प्रश्न 105 - उपशम श्रेणी किसे कहते हैं ? उत्तर - जिस श्रेणी में चारित्रमोहनीय कर्म की 21 प्रकृतियों का उपशम हो, उसे उपशमश्रेणी कहते हैं। प्रश्न 106 - क्षपक श्रेणी किसे कहते हैं ? उत्तर - जिस श्रेणी में उपरोक्त 21 प्रकृतियों का क्षय हो, उसे क्षपक श्रेणी कहते हैं । प्रश्न 107 – इन दोनों श्रेणियों में कौन-कौन से जीव चढ़ते हैं? उत्तर - क्षायिक सम्यग्दृष्टि तो दोनों श्रेणियों में चढ़ते हैं, और द्वितीयोपशम सम्यग्दृष्टि उपशम श्रेणी में ही चढ़ते हैं; वे क्षपक श्रेणी में नहीं चढ़ते । प्रश्न 108 - उपशम श्रेणी के कौन-कौन से गुणस्थान हैं ? उत्तर - उपशमश्रेणी के चार गुणस्थान हैं - (1) आठवाँ - अपूर्वकरण, (2) नववाँ - अनिवृत्तिकरण, (3) दसवाँ सूक्ष्मसाम्पराय और (4) ग्यारहवाँ - उपशान्त मोह । प्रश्न 109 - क्षपक श्रेणी के कौन-कौन से गुणस्थान हैं ? उत्तर - उसके (1) आठवाँ - अपूर्वकरण, (2) नववाँ - अनिवृत्तिकरण; (3) दसवाँ - सूक्ष्म साम्पराय और (4) बारहवाँ - क्षीणमोह - यह चार गुणस्थान है। प्रश्न 110 - चारित्रमोहनीय की 21 प्रकृतियों के उपशम को
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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