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श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला
प्रश्न 63 - क्षायिकभाव के कितने भेद हैं ?
उत्तर - क्षायिकभाव के नव भेद हैं- (1) क्षायिकसम्यक्त्व, (2) क्षायिकचारित्र, (3) क्षायिकदर्शन, (4) क्षायिकज्ञान, (5) क्षायिकदान, (6) क्षायिकलाभ, (7) क्षायिकभोग, ( 8 ) क्षायिक - उपभोग, (9) क्षायिकवीर्य ।
प्रश्न 64 - क्षायोपशमिकभाव के कितने भेद हैं ?
उत्तर - क्षायोपशमिकभाव के अठारह भेद हैं- (1) सम्यक्त्व, (2) चारित्र, (3) चक्षुदर्शन, (4) अचक्षुदर्शन, (5) अवधिदर्शन, (6) देशसंयम, (7) मतिज्ञान, (8) श्रुतज्ञान, (9) अवधिज्ञान, (10) मन:पर्ययज्ञान, (11) कुमतिज्ञान, ( 12 ) कुश्रुतज्ञान, (13) कुअवधिज्ञान, (14) दान, (15) लाभ, ( 16 ) भोग, (17) उपभोग, (18) वीर्य ।
प्रश्न 65 - औदयिकभाव कितने भेद हैं ?
उत्तर- औदयिक भाव के इक्कीस भेद हैं- गति 4, कषाय 4, लिङ्ग 3, मिथ्या दर्शन 1, अज्ञान 1, असंयम 1, असिद्धत्व 1, लेश्या 6 [पीत, पद्म, शुक्ल, कृष्ण, नील और कपोत ]
प्रश्न 66 - लेश्या किसे कहते हैं ?
उत्तर - कषाय के उदय से अनुरंजित योगों की प्रवृत्ति को भावलेश्या कहते हैं और शरीर के पीत, पद्मादि वर्णों को द्रव्यलेश्या कहते हैं ।
प्रश्न 67 - पारिणमिकभाव के कितने भेद हैं ?
उत्तर - पारिणामिकभाव के तीन भेद हैं
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(2) भव्यत्व, और (3) अभव्यत्व ।
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(1) जीवत्व,