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________________ 36 प्रकरण दूसरा द्रव्यत्वशक्ति से परिवर्तन करते हैं; उसमें कालद्रव्य तो निमित्तमात्र है। वस्तु की स्थिति किसी की अपेक्षा नहीं रखती; इसलिए काल के आधीन कहना व्यवहार कथन है। __प्रश्न 43 - द्रव्य के प्रत्येक गुण में नयी-नयी पर्यायें होती हैं ? होती हैं तो उसका कारण क्या? उत्तर - होती हैं, क्योंकि सर्व गुण निरन्तर परिणमनस्वभावी होते हैं और उनमें अपने-अपने द्रव्यत्व गुण निमित्त हैं। प्रश्न 44 - प्रत्येक द्रव्य में द्रव्यत्वादि गुण त्रिकाल रहते हैं ? और रहते हैं तो उसका कारण क्या? उत्तर - (1) हाँ; द्रव्य में द्रव्यत्वादि गुण अपने-अपने कारण स्वयं त्रिकाल रहते हैं; उसमें अस्तित्व नाम का सामान्य गुण निमित्त है। (2) जिस प्रकार द्रव्य का कभी नाश न होने से वह अनादि अनन्त है, उसी प्रकार द्रव्य के समस्त गुण भी अस्तित्व गुण के कारण कभी नाश को प्राप्त नहीं होते, इसलिए वे भी अनादिअनन्त हैं। प्रश्न 45 - द्रव्यत्व गुण से क्या समझना चाहिए? उत्तर - (1) सर्व द्रव्यों की अवस्थाओं का परिवर्तन निरन्तर उनके अपने कारण अपने में ही होता रहता है, दूसरा कोई उनकी अवस्था नहीं बदलता। (2) जीव की कोई पर्याय अजीव से - कर्म से, शरीरादि से नहीं बदलती और शरीरादि किसी परद्रव्य की अवस्था जीव से नहीं बदलती।
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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