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श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला
प्रश्न 12 – गुण की व्याख्या में से द्रव्य के सम्पूर्ण भाग में' - यह शब्द निकाल दें तो क्या दोष आयेगा?
उत्तर - क्षेत्र अपेक्षा से गुण द्रव्य के सम्पूर्ण भाग में व्याप्त है। व्याख्या में से सम्पूर्ण भाग में' - यह शब्द निकाल दें तो निम्नोक्त दोष आएँगे -
(1) गुण, द्रव्य के अधूरे भाग में रहने से शेष भाग का द्रव्य गुणरहित हो जाएगा और ऐसा होने से द्रव्य का भी नाश होगा। __ (2) जिस प्रकार - जितनी बड़ी मिश्री की डली है, उसके उतने ही भाग में अपने मिठास (रसादि) आदि गुण हैं; उसी प्रकार जितने भाग में द्रव्य
। में द्रव्य, उसके उतने ही भाग में गुण - ऐसी जो क्षेत्र अपेक्षा है, वह मर्यादा नही रहेगी।
प्रश्न 13 - गुण की व्याख्या में से काल अपेक्षा बतलानेवाले - 'सर्व अवस्थाओं में' - यह शब्द निकाल दें तो क्या दोष आयेगा?
उत्तर - काल अपेक्षा से द्रव्य में अनादि-अनन्त सर्व अवस्थाओं में रहे, वह गुण - ऐसी व्याख्या नहीं हो सकेगी और उससे निम्नोक्त दोष आएँगे -
(1) गुण, द्रव्य के अमुक काल में रहेगा, इसलिए शेष काल में द्रव्य, गुण रहित होने से द्रव्य का ही नाश हो जाएगा।
(2) किसी काल में ही गुण का अस्तित्व (सत्ता) मानने से द्रव्य की सर्व अवस्थाओं में व्यापक रहनेरूप गुण की मर्यादा नहीं रहेगी।
प्रश्न 14 – गुणों के कितने प्रकार हैं ? उत्तर - दो – (1) सामान्य और (2) विशेष।