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________________ श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला 233 कण्ठपाठ परिशिष्ट - 2 भैया भगवतीदास कृत उपादान-निमित्त संवाद मङ्गलाचरण पाद प्रणमि जिनदेव के, एक उक्ति उपजाय। उपादान अरु निमित्त को, कहूँ संवाद बनाय॥1॥ शिष्य का प्रश्न - पूछत है कोऊ तहाँ, उपादान किह नाम। कहो निमित्त कहिये कहा, कब के हैं इह ठाम ॥2॥ शिष्य के प्रश्न का उत्तर - उपादान निज शक्ति है, जिय को मूल स्वभाव। है निमित्त परयोग तें, बन्यो अनादि बनाव॥3॥ निमित्त - निमित्त कहै मोकों सबै, जानत है जगलोय। तेरो नाम न जान ही, उपादान को होय॥4॥ उपादान उपादान कहै रे निमित्त, तू कहा करै गुमान। मोकों जानें जीव वे, जो है सम्यक् वान ॥5॥ निमित्त - कहैं जीव सब जगत के, जो निमित्त सोई होय। उपादान की बात को, पूछे नाहीं कोय॥6॥ उपादान - उपादान बिन निमित्त तू, कर न सके इक काज। कहा भयौ जग ना लखै, जानत हैं जिनराज॥7॥
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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