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श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला
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कण्ठपाठ परिशिष्ट - 2
भैया भगवतीदास कृत
उपादान-निमित्त संवाद मङ्गलाचरण
पाद प्रणमि जिनदेव के, एक उक्ति उपजाय।
उपादान अरु निमित्त को, कहूँ संवाद बनाय॥1॥ शिष्य का प्रश्न -
पूछत है कोऊ तहाँ, उपादान किह नाम।
कहो निमित्त कहिये कहा, कब के हैं इह ठाम ॥2॥ शिष्य के प्रश्न का उत्तर -
उपादान निज शक्ति है, जिय को मूल स्वभाव।
है निमित्त परयोग तें, बन्यो अनादि बनाव॥3॥ निमित्त -
निमित्त कहै मोकों सबै, जानत है जगलोय। तेरो नाम न जान ही, उपादान को होय॥4॥
उपादान
उपादान कहै रे निमित्त, तू कहा करै गुमान।
मोकों जानें जीव वे, जो है सम्यक् वान ॥5॥ निमित्त -
कहैं जीव सब जगत के, जो निमित्त सोई होय।
उपादान की बात को, पूछे नाहीं कोय॥6॥ उपादान -
उपादान बिन निमित्त तू, कर न सके इक काज। कहा भयौ जग ना लखै, जानत हैं जिनराज॥7॥