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प्रकरण छठवाँ
प्रश्न 38 - उत्पादनकारण किसे कहते हैं ?
उत्तर - "उत्पत्ति के कारण को उत्पादनकारण कहते हैं। द्रव्यों की ध्रुवता तथा पूर्व पर्याय का व्यय, वह उत्पादनकारण है। यदि ऐसा न माना जाये तो...' केवल सर्ग (उत्पाद) शोधनेवाले कुम्भ की (व्यय और ध्रौव्य से पृथक् मात्र उत्पाद करनेवाले घड़े की) उत्पादन कारण के अभाव के कारण, उत्पत्ति ही नहीं होगी; अथवा तो असत् का ही उत्पाद होगा। वहाँ (1) यदि कुम्भ की उत्पत्ति न हो तो सभी भावों की उत्पत्ति नहीं होगी, (अर्थात् जिस प्रकार कुम्भ की उत्पत्ति नहीं होगी, उसी प्रकार विश्व के किसी द्रव्य में किसी भी भाव का उत्पाद ही नहीं होगा - यह दोष आयेगा) अथवा (2) यदि असत् का उत्पाद हो तो व्योम पुष्प - (आकाश के फूल) आदि के भी उत्पाद होगा। (अर्थात् शून्य में से भी पदार्थ उत्पन्न होने लगेंगे - यह दोष आयेगा।"
(प्रवचनसार, गाथा 100 की टीका) प्रश्न 39- संहार (व्यय) कारण किसे कहते हैं ?
उत्तर - ‘संहार (नाश, व्यय) के कारण को संहारकारण कहा जाता है। उत्पाद और ध्रौव्यरहित अकेले व्यय को माननेवाला संहार के कारण को नहीं मानता, इसलिए व्यय (संहार) का कारण उत्पाद और ध्रौव्य है, उसे न माना जाए तो - 'मात्र संहार आरम्भ करनेवाले मृत्तिका पिण्ड का (उत्पाद और ध्रौव्यरहित अकेला व्यय करनेवाले मृत्तिका पिण्ड का), संहारकारण के अभाव के कारण संहार ही नहीं होगा; अथवा तो सत् का ही उच्छेद हो जाएगा। वहाँ (1) यदि मृत्तिका पिण्ड का संहार न हो