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श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला
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(2) सामर्थ्य, शक्ति, पात्रता, लियाकत, ताकत, योग्यता, शक्ति यह 'योग्यता' शब्द के अर्थ हैं?
प्रश्न 6 - निमित्तकारण किसे कहते हैं ?
उत्तर - जो पदार्थ स्वयं कार्यरूप परिणमित न हो, परन्तु कार्य उत्पत्ति में अनुकूल होने का जिस पर आरोप आ सके, उस पदार्थ को निमित्तकारण कहते हैं; जैसे कि - घड़े की उत्पत्ति में कुम्भकार, दण्ड, चक्र आदि निमित्तकारण है। [निमित्त सच्चा कारण नहीं है; वह अकारणवत्-अहेतुवत' है, क्योंकि वह उपचारमात्र अथवा व्यवहार कारण है।]
प्रश्न 7 - निमित्तकारण के कितने भेद हैं ?
उत्तर - दो भेद हैं : (1) प्रेरक निमित्त और (2) उदासीन निमित्त।
प्रश्न 8 - प्रेरक निमित्त किसे कहते हैं ?
उत्तर - गमन / क्रियावाले जीव, पुद्गल तथा इच्छादिवाले जीव प्रेरक निमित्त कहलाते हैं। प्रेरक निमित्त जबरन् उपादान में कार्य कर देते हैं या प्रभावादि डाल सकते हैं - ऐसा नहीं समझना, क्योंकि दोनों पदार्थों का एक-दूसरे में अभाव है। प्रेरक निमित्त, उपादान की प्रेरणा नहीं करता।
प्रश्न 9 - उदासीन निमित्त किसे कहते हैं ?
उत्तर- धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाश और कालादि निष्क्रिय (गमन क्रियारहित) या रागरहित, द्रव्यों को उदासीन निमित्त कहते हैं। 1. पञ्चाध्यायी, भाग-2, गाथा 351