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________________ 104 प्रकरण तीसरा आदि अनन्त गुणों तथा अपनी सर्व पर्यायोंरूप अखण्ड वस्तु, वह पुद्गल का स्वद्रव्य है। (2) क्षेत्र - पुद्गल परमाणु का एक प्रदेश, वह उसका स्वक्षेत्र है। (3) काल - नित्य स्वभाव को न छोड़कर निरन्तर क्रमबद्ध अपने-अपने अवसर में नयी-नयी पर्यायों का जो उत्पाद होता रहता है - इस पुद्गल के निज परिणाम का नाम स्वकाल है। (4) भाव – पुद्गलद्रव्य के आश्रय में रहनेवाले जो स्पर्शादि अनन्त गुण हैं, वह उसका स्वभाव है। प्रश्न 101 - क्षेत्र की अपेक्षा से द्रव्य-गुण-पर्याय की तुलना करो। उत्तर - तीनों का क्षेत्र समान अर्थात् एक है। प्रश्न 102 - काल की अपेक्षा से द्रव्य-गुण-पर्याय की तुलना करो। उत्तर - द्रव्य और गुण त्रिकाल तथा पर्याय एक समय पर्यन्त की है। प्रश्न 103 - द्रव्य और पर्याय में भेद-अभेद समझाओ। उत्तर - संख्या से द्रव्य एक और उसकी पर्यायें अनन्त; काल से द्रव्य त्रिकाल और पर्याय एक समय की; भाव से भेद, क्योंकि द्रव्य और पर्याय का स्वरूप भिन्न-भिन्न हैं । क्षेत्र दोनों का समान अर्थात् एक है।
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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