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प्रकरण तीसरा
प्रश्न 95 - प्रमाद के कितने भेद हैं ?
उत्तर - पन्द्रह भेद हैं - चार विकथा (स्त्रीकथा, राष्ट्रकथा, भोजनकथा और राजकथा), चार कषाय (क्रोध, मान, माया, लोभ), पाँच इन्द्रियों के विषय, एक निद्रा और एक प्रणय (स्नेह)।
प्रश्न 96 - कषाय किसे कहते हैं ?
उत्तर - मिथ्यात्व तथा क्रोध, मान, माया, लोभरूप आत्मा की अशुद्धपरिणति को कषाय कहते हैं ?
कषाय के 25 प्रकार हैं - 4 अनन्तानुबन्धी क्रोध, मान, माया और लोभ, 4 अप्रत्याख्यानावरणीय क्रोधादि, 4 प्रत्याख्यानावरणीय क्रोधादि, 4 संज्वलन क्रोधादि; इस प्रकार 16 कषाय और 9 नोकषाय – (हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, पुरुषवेद और नपुंसकवेदरूप आत्मा की अशुद्ध परिणति को नोकषाय कहते हैं।)
प्रमाद और कषाय में सामान्य विशेष का अन्तर है। सातवें से दसवें गुणस्थान तक उस-उस स्थानयोग्य कषाय है।
प्रश्न 97 - योग किसे कहते हैं ?
उत्तर - मन, वचन, काय के आलम्बन से आत्मा के प्रदेशों का परिस्पन्दन होना, उसे योग कहते हैं। ___ (योग गुण की अशुद्धपर्याय में कम्पनपने को द्रव्ययोग
और कर्म-नोकर्म के ग्रहण में निमित्तरूप योग्यता को भावयोग कहते हैं।)
योग के पन्द्रह भेद हैं -