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________________ बिखरे मोती प्रश्न – यदि वे अपने पक्ष की कमजोरी अनुभव करते हैं तो फिर दुबारा चर्चा करने के लिए चैलेंज क्यों देते हैं ? 82 1 उत्तर यह तो उनका स्वभाव ही है। इसके बारे में मैं क्या कहूँ? पहले भी इसी तरह कहते थे कि ये लोग चर्चा करने को तैयार नहीं, डरते हैं, कुछ जानते नहीं, हमारे सामने आ नहीं सकते। जब चर्चा आचार्य शिवसागरजी महाराज के सान्निध्य में शांतिपूर्वक सम्पन्न हो गई तो उसे अप्रमाणित कहने लगे और फिर वही राग अलापने लगे हैं। ―――― - प्रश्न - तो आप फिर दुबारा चर्चा क्यों नहीं कर लेते? जब आपकी बात सत्य है, आपको अपनी बात पर पूरा भरोसा है तो आप फिर एक बार चर्चा करने से क्यों इन्कार करते हैं ? - उत्तर • जब एक बार की चर्चा से ही कुछ निष्कर्ष नहीं निकला, झगड़ा वैसे का वैसा ही कायम रहा तो अब बारबार चर्चा करने से भी क्या होगा? अब जो चर्चा की जावेगी, उसका भी वही हाल होगा, जो इसका हुआ। वे फिर कहने लगेंगे बदल दी । प्रश्न अब की बार ऐसी व्यवस्था की जाए कि वे कुछ भी न कह सकें । - उत्तर व्यवस्था में पहिले भी क्या कसर रखी थी; पर जिसे कहना ही है, उसे कौन रोक सकता है ? - प्रश्न – यदि उनके आरोप में सत्यता हो तो? यह आप कैसे कह सकते हैं कि वे उसमें अपनी कमजोरी अनुभव करते हैं । उत्तर इसलिए कि यदि वे उस चर्चा को ठीक मानते हैं, अपना पक्ष प्रबल मानते हैं, और यदि हमने उसे फेरफार करके छापा है तो उनके पास उसकी मूलप्रति है, वे उसे छापें और सारे समाज में बाँटे, दूसरी चर्चा की क्या आवश्यकता है । उनके कहे अनुसार मानलो कि हमने तो पलट दी, पर वे तो सही-सही छापें। 1 — प्रश्न यदि उन्होंने भी फेर बदल कर छापा तो आप क्या करेंगे? -
SR No.009446
Book TitleBikhare Moti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2001
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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