SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 83
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लौहपुरुष श्री नेमीचनंद पाटनी 75 "हमेशा तो हमें योजनाएँ बताते रहते हो और अब अवसर आया है तो पीछे हट रहे हो। जो आप चाहते हो, वही गोदीकाजी और पाटनीजी भी चाहते हैं। अत: आप निश्चित होकर यह कार्य करो।" इसप्रकार पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट के माध्यम से पाटनीजी के नेतृत्व में यह महान कार्य आरंभ हुआ, जिसमें गोदीकाजी का तो सर्वस्व समर्पण था ही, खीमचंदभाई और बाबूभाई का भी पूर्ण सहयोग था। गुरुदेवश्री का मंगल आशीर्वाद उनके जीवन के अंतिम क्षण तक पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट को प्राप्त रहा और मेरा तो पूरा जीवन ही इसमें लग गया था। आज हम जहाँ खड़े हैं, उसके प्रस्थान की यह संक्षिप्त कहानी है। आज न हमारे बीच खीमचंदभाई हैं, न बाबूभाई और न गोदीकाजी भी हैं; पर पाटनीजी अडिग चट्टान की तरह अकेले ही इस भार को उठाये हुए खड़े हैं और उनके सफल नेतृत्व में तत्त्वप्रचार का महान कार्य दिन-दूनी रातचौगुनी प्रगति कर रहा है। __तत्त्वज्ञान के महान कार्य के प्रति समर्पण के दो प्रसंग मेरे स्मृतिपथ में आ रहे हैं। प्रथम तो महावीर निर्वाण वर्ष में सोनगढ़ में सम्पन्न पंचकल्याणक की बात है और दूसरी सेठी कालोनी, जयपुर में सम्पन्न पंचकल्याणक की बात है। सोनगढ़ पंचकल्याणक की व्यवस्था का सर्वाधिक भार पाटनीजी के कंधों पर ही था कि उनके सगे बहनोई अत्यधिक बीमार हो गये, मरणान्तिक अवस्था में पहुँच गये। उन्हें भावनगर अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराना पड़ा। ऐसी स्थिति में भी आप विचलित नहीं हुए। सम्पूर्ण कार्य को वैसे ही संभाले रखा, जैसे सामान्य स्थिति में भी संभालते थे। दिन भर पंचकल्याणक का कार्य करते और रात को ११ बजे भावनगर उनकी सेवा में पहुँचते, फिर प्रातः ५ बजे अपनी ड्यूटी पर आ जाते। सेठी कालोनी, जयपुर के पंचकल्याणक के बीच में ही आपके बड़े पुत्र श्री सुरेन्द्रकुमारजी पाटनी का ५१ वर्ष की उम्र में ही अचानक देहावसान हो गया। यह पाटनी परिवार पर वज्रपात था। हम सब उनकी श्मशानयात्रा में गये थे। पाटनीजी तो थे ही। संध्या का समय था और चिता जल रही थी। इसी बीच पाटनीजी मेरे पास आये और बोले - .
SR No.009446
Book TitleBikhare Moti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2001
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy