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________________ शिक्षाजगत के लिए समर्पित व्यक्तित्व ब्र. पण्डित श्रीमाणिकचन्दजी चवरें एकदम गोरी-भूरी, किन्तु दुबली-पतली चादर में लिपटी अत्यन्त कृष काया; जिसे देखकर कोई अनुमान ही न कर सके कि यह वही महापुरुष है कि जिसने अपनी सारी सम्पत्ति और सम्पूर्ण जीवन आत्मकल्याण के साथसाथ शिक्षा के माध्यम से समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया है। ___ आचार्य श्री समन्तभद्रजी महाराज ने महाराष्ट्र के आंचलिक प्रदेशों में जो शैक्षणिक क्रान्ति का शंखनाद किया था; ब्र. पण्डित श्रीमाणिकचन्दजी चवरें उस क्रान्ति के पुरोधा योद्धा थे। इस क्रान्ति ने ऐसे अनेक गुरुकुलों को जन्म दिया कि जिनमें ग्रामीण अंचलों से आये हजारों दिगम्बर जैन छात्रों ने शिक्षा प्राप्त की है, कर रहे हैं और भविष्य में भी करेंगे। इन आवासीय गुरुकुलों में अध्ययनरत छात्र वे छात्र हैं कि जिन्हें यदि यह सुविधा प्राप्त नहीं होती तो वे अशिक्षित ही रह जाते। उन साधनहीन छात्रों को इन गुरुकुलों में नि:शुल्क सर्वसुविधायें उपलब्ध कराके लौकिक शिक्षा तो दिलाई ही जाती है। साथ ही धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ संस्कारित भी किया जाता है । उनके वियोग से ये गुरुकुल एक प्रकार से अनाथ से हो गये हैं। ___ जिनागम और जिन-अध्यात्म का अध्ययन भी उनका बहुत गहरा था। वे जब भी मिलते थे तो अध्यात्म के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ समयसार की आत्मख्याति टीका का पंक्ति-पंक्ति का अर्थ जानना चाहते थे; तत्संबंधी चर्चा ही करते थे। ___तीर्थक्षेत्र कमेटी की आर्थिक सुदृढ़ता में भी उनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। उनके वियोग से समाज ने एक चिन्तक एवं सभी का परम हितैषी खो दिया है।
SR No.009446
Book TitleBikhare Moti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2001
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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