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________________ आचार्य कुंदकुंद और दिगम्बर जैन समाज की एकता 185 सभी ने स्वागत भी किया था, सम्पूर्ण दिगम्बर जैन समाज तक पहुँचाने के लिए मैं उसे यहाँ भी दुहराना चाहता हूँ । मैंने उस समय कहा था कि आचार्य कुन्दकुन्द की परम्परा के सन्तों एवं समाज के कर्णधारों से इस अवसर पर मैं एक अपील करना चाहता हूँ कि जिन लोगों ने आचार्य कुन्दकुन्द के साहित्य का गहरा अध्ययन कर, उन पर अपना सर्वस्व समर्पण कर, अपना सम्प्रदाय और समाज को छोड़कर दिगम्बर धर्म अंगीकार कर लिया है; उन्हें ससम्मान छाती से लगाने का यह अवसर है, जिसे चूकना समझदारी तो है ही नहीं, खतरनाक भी हो सकता है; क्योंकि यह उपेक्षा एक नये पंथ को जन्म देने का मार्ग प्रशस्त कर सकती है, जो कि पहले से ही अनेक पंथों में विभक्त दिगम्बर समाज के लिए एक सिरदर्द ही होगा। क्षेत्रीय दृष्टि से भी यह बात अत्यन्त महत्वपूर्ण है । अत: यदि इस अवसर पर बिना किसी किन्तु - परन्तु के हम उन्हें गले लगा सकें तो यह आचार्य कुन्दकुन्द को एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी। आध्यात्मिकसत्पुरुष श्री कानजीस्वामी की पावन प्रेरणा से दिगम्बर बने मुमुक्षु भाइयों से भी मैं एक विनम्र अपील करना चाहता हूँ कि स्वामीजी ने जीवन भर आचार्य कुन्दकुन्द को पढ़ा है, स्वामीजी का जीवन उनके ग्रन्थों के पठन-पाठन को समर्पित ही रहा है; अत: अब आपके मनों में भी अपार प्रसन्नता होनी चाहिए और आप लोगों को भी सच्चे हृदय से इस महायज्ञ में सम्मिलित हो जाना चाहिए, तन-मन-धन से पूरा सहयोग करना चाहिए, शंकाओं - आशंकाओं को तिलांजलि देकर अन्तर्बाह्य से सम्पूर्ण दिगम्बर शुद्ध परम्पराओं को खुले दिल से स्वीकार कर अपने को सम्पूर्ण दिगम्बर समाज में समाहित कर लेना चाहिए। कुन्दकुन्द की अनुयायी दिगम्बर समाज में समाहित होने का इससे अच्छा अवसर आपको फिर कभी प्राप्त नहीं होगा । आशा है सम्बन्धित व्यक्ति मेरी इस मार्मिक अपील पर अवश्य ध्यान देंगे। आध्यात्मिकसत्पुरुष श्री कानजी स्वामी के नेतृत्व में आज से पचास वर्ष पूर्व हुई इस आध्यात्मिक क्रान्ति से मात्र वे ही लोग प्रभावित नहीं हुए हैं, जो अपना सम्प्रदाय छोड़कर उनके साथ दिगम्बर धर्म में सम्मिलित हुए हैं, लाखों
SR No.009446
Book TitleBikhare Moti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2001
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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