SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 189
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गोली का जवाब गाली से भी नहीं 181 हमने यह विचार किया है कौन ले जायेगा? कैसे ले जायेगा ? सबके हृदय में यह बात है कि इन दो हजार आदमियों में से कौन इस जिनवाणी को ले जायें। सभी तैयार है तो क्या सबको एक-एक किताब दें? इसलिए हमने निर्णय किया कि सुन्दर केशरियाँ झण्डे वाला कपड़ा मंगाया जायेगा। जिनवाणी को सम्मान के साथ वेस्टनों में बाँधकर करीब २५ बंडल बनाये जायेंगे । बग्गियाँ लायेंगे। उन बंडलों को लेकर बग्गी में बैठकर जुलूस के साथ जायेंगे | उनकी यहाँ बोली होगी। उन पच्चीस बण्डलों को लेकर सब लोग जायेंगे। उन बोलियों में जो भी राशि आयेगी, वह उसी जिनवाणी की रक्षा और जिनवाणी के सम्मान में, प्रचार-प्रसार में ही काम आयेगी । I हम अभी कोई नया स्वाध्याय मन्दिर नहीं बनायेंगे। जबतक हमको यह पूरी आशा है कि हम उसी मन्दिर में स्वाध्याय करेंगे, बैठेंगे और वहीं जिनवाणी विराजमान करेंगे। जबतक यह नहीं हो जाता, तबतक कहीं हमको २-४ महीने बैठना पड़ सकता है और उसके लिए हमें खर्चे की व्यवस्था करनी पड़ सकती है । वह सारा पैसा आपका उसी व्यवस्था के काम आयेगा । हम पृथकता के दृष्टिकोण को लेकर नहीं चलना चाहते हैं । हम बरसों इंतजार करेंगे और जब बिल्कुल थक जायेंगे; तब कोई दूसरी बात सोचेंगे। बोलियाँ तो पच्चीस ही होंगी, शेष के लिए गुल्लक रखा जायेगा । इस काम के लिए जो भी अपनी श्रद्धा समर्पित करना चाहें, वह उस गुल्लक में पैसे डालकर अपनी भावना पूर्ण करें। इसकी व्यवस्था के लिए यहीं के जो आदमी हैं, उनकी कमेटी बना दी जायेगी। वे इस काम को देखेंगे। जो बाहर वाले आये हैं, उनकी भी ड्यूटी है कि वह इस काम के लिए अधिक से अधिक दान राशि देकर जाएं। यहाँ वाले तो देंगे ही, यहाँ वालों को तो करना ही है। उस जिनवाणी की सवारी बहुत शान के साथ ले जायेंगे। जहाँ भी वह रहें, शान के साथ विराजमान रहें। स्वाध्याय चालू रहें। जब भी वापस उस मन्दिर में हमारी जिनवाणी पहुँचेंगी तो जो पैसा बचेगा हम उस मन्दिर में दे देंगे। जिस मन्दिर में यह
SR No.009446
Book TitleBikhare Moti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2001
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy