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बिखरे मोती
हमारे इस जिनवाणी सुरक्षा एवं सामाजिक एकता आन्दोलन के तीन चरण
होंगे
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प्रथम चरण में हम इस शान्तिप्रिय आन्दोलन में भाग लेने वाले कम से कम दश हजार कार्यकर्ताओं के संकल्पपत्र प्राप्त करेंगे, जिसमें उन्हें यह संकल्प करना होगा कि हम देव - शास्त्र - गुरु की अवज्ञा न तो स्वयं करेंगे, न करायेंगे और न करनेवालों की अनुमोदन ही करेंगे। आगम के आधार बिना परम्पराविरुद्ध किए जानेवाले कार्यों, जिनवाणी की अवमानना एवं सामाजिक विघटन को रोकने के लिए शान्तिप्रिय अहिंसात्मक मार्ग ही अपनायेंगे ।
दूसरे चरण में हम अपनी शान्ति प्रार्थनाएँ आरंभ करेंगे; पर ध्यान रहे, ये शान्ति - प्रार्थनाएँ संचालित समिति के निर्देश बिना आरंभ नहीं करनी है। संचालन समिति जब आवश्यक समझेगी, तब सभी केन्द्रों को निर्देश देगी; निर्देश प्राप्त करने के पूर्व कहीं भी प्रार्थना सभायें नहीं करना है। प्रार्थना सभाएँ हम तभी आरंभ करेंगे, जब इसकी गहरी आवश्यकता अनुभव करेंगे।
इन प्रार्थना सभाओं में प्रात:कालीन प्रवचनोपरान्त सभी भाई खड़े होकर प्रथम महावीर वन्दना, फिर मेरी भावना और उसके बाद गद्य प्रार्थना बोलेंगे । प्रत्येक प्रार्थना सभा का एक मनोनीत संयोजक होगा, जो स्थानीय कार्यक्रम का संयोजन करेगा और संचालन समिति से सम्पर्क रखेगा, संचालन समिति के सभी निर्देश प्रार्थना सभा के सदस्यों तक पहुँचायेगा ।
यदि एक नगर में अनेक स्थानों पर प्रार्थना सभायें होती हैं तो प्रत्येक प्रार्थना सभा के संयोजकों के अतिरिक्त एक नगर संयोजक भी होगा; जो सम्पूर्ण नगर की प्रार्थना सभाओं के संयोजन कार्य को देखेगा, व्यवस्थित करेगा।
इसीप्रकार आवश्यकतानुसार जिला, प्रान्त आदि के संयोजक भी बनाये जावेंगे।
एक स्थान पर सम्पन्न होनेवाली प्रत्येक प्रार्थना सभा का संयोजक एक ही होगा, पर मुख्य अतिथि प्रत्येक बार बदलते रहेंगे। संयोजक समाज के सुयोग्य, शान्तिप्रिय, प्रतिष्ठित महानुभावों से अपनी प्रार्थना सभा का मुख्य अतिथि बनने का अनुरोध करेंगे और उनसे उस दिन की प्रार्थना सभा का संचालन करावेंगे।