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जिनवाणी सुरक्षा एवं सामाजिक एकता आन्दोलन की
संक्षिप्त रूपरेखा (वीतराग-विज्ञान जुलाई १९८५ में से) गतांक में "एक ही रास्ता" सम्पादकीय के माध्यम से हमने सूर्यकीर्तिप्रकरण से उत्पन्न स्थिति की चर्चा विस्तार से की थी। उक्त सन्दर्भ में सागर (म.प्र.) में सम्पन्न श्री वीतराग-विज्ञान आध्यात्मिक शिक्षण-प्रशिक्षण शिविर के अवसर पर १ जून, १९८५ से ३ जून, १९८५ तक लगातार तीन दिन तक चले प्रवचनकार सम्मेलन में प्रतिदिन दो-दो घंटे गंभीरतम विचार-विमर्श हुआ। ___एक सौ इक्कावन प्रवचनकार बन्धुओं एवं सहस्राधिक जनता की उपस्थिति में छह घंटे के गंभीरतम विचार-विमर्श के उपरान्त माँ जिनवाणी की सुरक्षा, आगम-विरुद्ध कार्यों के निषेध एवं सामाजिक एकता के लिए एक अहिंसात्मक जन-जागृति कार्यक्रम आरंभ करने का सर्वसम्मत महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया गया।
इस कार्यक्रम का नाम रखा गया है – "जिनवाणी सुरक्षा एवं सामाजिक एकता आन्दोलन"। इसके संचालन का कार्य "पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट" को सौंपा गया है। इसके संचालन के लिए एक संचालन समिति का भी सर्वसम्मत चयन किया गया है। इस पंच सदस्यीय संचालन समिति के सदस्य है - सर्वश्री जुगलकिशोरजी 'युगल' कोटा, नेमीचन्दजी पाटनी आगरा, डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल जयपुर, ब्र. यशपालजी जयपुर एवं ब्र. जतीशचन्दजी शास्त्री इन्दौर।
इस कार्यक्रम के सम्बन्ध में स्व. श्री बाबूभाईजी मेहता से भी रणासन शिविर के अवसर पर विचार-विमर्श हुआ था। उन्होंने स्वयं इसकी आवश्यकता अनुभव की थी और मुझे इसकी विस्तृत रूपरेखा बनाने का आदेश दिया था,