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यदि विषयलोलुप ज्ञानियों को मोक्ष हो तो बताओ। दशपूर्वधारी सात्यकीसुत नरकगति में क्यों गया ॥३०॥ यदि शील बिन भी ज्ञान निर्मल ज्ञानियों ने कहा तो। दशपूर्वधारी रूद्र का भी भाव निर्मल क्यों न हो ॥३१॥ यदि विषयविरक्त हो तो वेदना जो नरकगत । वह भूलकर जिनपद लहे यह बात जिनवर ने कही ॥३२॥ अरे! जिसमें अतीन्द्रिय सुख ज्ञान का भण्डार है। वह मोक्ष केवल शील से हो प्राप्त - यह जिनवर कहें॥३३॥ ये ज्ञान दर्शन वीर्य तप सम्यक्त्व पंचाचार मिल । जिम आग ईंधन जलावे तैसे जलावें कर्म को ॥३४॥
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