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________________ आत्मा ही परमात्मा है ___शिकागो से २८ मई गुरुवार को मिनियापिलिस पहुँचे, जहाँ गतवर्ष की ही भाँति रामगडा के यहाँ ठहरे एवं हिन्दू मन्दिर में अहिंसा पर प्रवचन हुआ। २९ मई, १९८७ को रामगडा के घर पर ही प्रवचन व चर्चा के कार्यक्रम रखे गये । मिनियापिलिस से सेन्टलुइस गये, जहाँ ३० मई शनिवार को दो कार्यक्रम रखे गये - दिन में १ बजे से ४ बजे तक वाशिंगटन विश्वविद्यालय के हाल में शताधिक लोगों की उपस्थिति में “भगवान महावीर और उनकी अहिंसा" पर एवं शाम को “आत्मानुभव" पर गिलानी साहब के घर पर । दोनों ही कार्यक्रम बड़े ही प्रभावक रहे। उसके बाद ३१ मई रविवार को हम सिनसिनाटी पहुँचे, जहाँ विगतवर्षों की ही भाँति जैना के महामंत्री श्री सुलेख जैन के घर पर ठहरे एवं गुजराती समाज के हाल में प्रवचन रखा गया । दूसरा प्रवचन प्रमोद जवेरी के घर पर हुआ । शताधिक लोगों की उपस्थिति में आत्मानुभव पर हुए इन प्रवचनों के वीडियो कैसेट तैयार किये गये थे । ओडियो कैसेट तो प्रत्येक स्थान पर प्रत्येक प्रवचन के अनेक होते ही हैं । इसके बाद २ जून को फिनिक्स पहुँचे, जहाँ किशोरभाई पारेख के घर ठहरे और २ व ३ जून को क्रमशः "भगवान महावीर और उनकी अहिंसा" व "आत्मानुभव" विषय पर प्रवचन हुए, ३ जून को दोपहर १.३० से ३.३० तक किशोरभाई के घर तत्त्वचर्चा रखी गई, जिसमें विविध विषयों पर अच्छी तत्त्वचर्चा हुई । वैसे तो प्रत्येक व्याख्यान के बाद चर्चा प्रतिदिन होती ही थी, पर लोगों को क्रमबद्धपर्याय आदि विषयों पर अनेक प्रश्न थे, उनके समाधान के लिए यह विशेष चर्चा रखी गई थी । यहाँ पर एक और धार्मिक संस्कार वाले इन्दौर के दम्पत्ति रहते हैं, जिनके नाम है डॉ. दिलीप वोवरा और सुमन वोवरा । वे हमें ४ जून को फिनिक्स से २०० मील दूर ग्रेट केनियन दिखाने ले गये । ग्रेट केनियन विश्व का
SR No.009440
Book TitleAatma hi hai Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages239
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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