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सुखी होने का सच्चा उपाय
की मांग की गई, जिसके लिये सात दिन पाने के लिये अभी से प्रयत्न चालू कर दिया गया ।
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टोरन्टो से हम सिनसिनाटी पहुंचे, जहाँ जैन फैडरेशन के मंत्री श्री सुलेख के घर ठहरे । यहाँ गुजराती समाज के हॉल में प्रवचन व चर्चा रखी गई, जिसमें १६० व्यक्ति उपस्थित थे । इस कार्यक्रम की वीडियो कैसेट भी तैयार की गई थी ।
दूसरे दिन सुलेख जैन के घर पर बारह भावनाओं का पाठ व तत्त्वचर्चा रखी गई थी । बारह भावनाओं की पुस्तकें कम थीं, अतः पुस्तक की फोटो कॉपियां कराके सबके हाथों में दी गई थीं ।
यहाँ से हम लिंगस्टन पहुँचे, जहाँ महेश गोशलिया के घर ठहरे, उन्हीं के घर कार्यक्रम रखा गया । इसके बाद अटलान्टा पहुँचे, जहाँ हर्षद एवं रमिला गांधी के घर कार्यक्रम रखा गया । यहाँ आशा से बहुत अधिक ६० व्यक्ति उपस्थित हुये । ध्यान रहे, यहाँ कुल ३५ घर जैनियों के हैं, जो बहुत दूर-दूर रहते हैं और यहाँ जैन सेन्टर भी नहीं है । यहाँ यह हमारा ही नहीं, यहाँ की जैन समाज का भी सबसे पहला कार्यक्रम था । आज तक यहाँ कोई जैन प्रवक्ता पहुँचा ही नहीं था । इस प्रथम प्रयास में ही सफलता मिलने से उन्हें बहुत उत्साह था ।
इसके बाद हम वाशिंगटन पहुँचे । यहाँ गत वर्ष की भाँति इस वर्ष भी शिविर का आयोजन था, जो बड़ी सफलता के साथ सम्पन्न हुआ है । इस शिविर में चले विषयों एवं उनके प्रभाव की जानकारी के लिये इस शिविर में सम्मिलित एक महिला के पत्र को उद्धृत करना अप्रासंगिक न होगा ।
“दो सप्ताह पूर्व सेन्टमेरी कॉलेज में आयोजित शिविर में सम्मिलित होने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ । उसमें आपके सम्यग्दर्शन, क्रमबद्धपर्याय, निमित्त-उपादान, निश्चय - व्यवहारनय पर हुये प्रवचन प्रकाश स्तम्भ थे । उनसे