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________________ 51 सुखी होने का सच्चा उपाय ___ जो सेठानी इस बात को स्वीकार करने को कतई तैयार न थी कि वह उस बालक से बहुत काम कराती है और खाना भी ढंग का नहीं देती है, वही अब इकबालिया बयान दे रही है कि मैंने बहुत काम कराया है और खाना भी ढंग का नहीं दिया । यह सब अपनेपन का ही माहात्म्य है । अब क्या उसे यह समझाने की आवश्यकता है कि जरा काम कम लिया करें और खाना भी अच्छा दिया करें । अब काम का तो कोई सवाल ही नहीं रह गया है और खाने की भी क्या बात है, अब तो उसकी सेवा में सब-कुछ हाजिर है । व्यवहार में इस परिवर्तन का एकमात्र कारण अपनेपन की पहिचान है, अपनेपन की भावना है । इसीप्रकार जबतक निज भगवान आत्मा में अपना अपनापन स्थापित नहीं होगा, तबतक उसके प्रति अपनेपन का व्यवहार भी संभव नहीं इन देहादिपरपदार्थों से भिन्न निज भगवान आत्मा में अपनापन स्थापित होना ही एक अभूतपूर्व अद्भुत क्रान्ति है, धर्म का आरम्भ है, सम्यग्दर्शन है, सम्यग्ज्ञान है, सम्यक्चारित्र है, साक्षात् मोक्ष का मार्ग है, भगवान बनने, समस्त दुःखों को दूर करने और अनन्त अतीन्द्रिय आनन्द प्राप्त करने का एकमात्र उपाय है । इस प्रवास में इसप्रकार का एक व्याख्यान तो लगभग सभी स्थानों पर हुआ ही । ___ इस वर्ष हम सीधे अमेरिका पहुंचे थे । और लौटते समय इंगलैण्ड रुके । अमेरिका में हमने अपनी यह यात्रा १७ जून, १९८६ से वोस्टन से आरम्भ की । १८ जून, १९८६ के शाम डॉ. शैलेन्द्र पालविया के यहाँ 'क्रमबद्धपर्याय' पर चर्चा रखी गई, जो बहुत उपयोगी रही। इसप्रकार इस यात्रा का आरम्भ मेरे प्रिय विषय 'क्रमबद्धपर्याय' की चर्चा से ही हुआ।
SR No.009440
Book TitleAatma hi hai Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages239
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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