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________________ 37 सुखी होने का सच्चा उपाय डॉक्टर ही । गहराई से विचार करें कि क्या हम भी उसीप्रकार के अंधविश्वासी नहीं हैं ? भाई, इस बात पर एक बार गंभीरता से विचार अवश्य किया जाना चाहिए । दवायें दो प्रकार की होती हैं - एक दर्द की दवा और दूसरी मर्ज की दवा । दर्द की दवा तो मात्र दर्द को दबा देती है, वह मर्ज को जड़ से नहीं उखाड़ती । एक तड़फता हुआ रोगी डॉक्टर के पास पहुँचा । उसके पेट में भयंकर दर्द था । जाँच करने पर पता चला कि उसे अपेंडिक्स की बीमारी है । डॉक्टर ने कहा - _ "चौबीस घंटे के भीतर ऑपरेशन होना जरूरी है, क्योंकि अपेंडिक्स अन्तिम स्थिति में है । यदि अन्दर ही बर्ट हो गया तो जहर सम्पूर्ण शरीर में फैल जायगा, फिर मरीज को बचाना कठिन होगा ।" यह कहकर डॉक्टर ने उसे मार्फिया का एक इन्जेक्शन लगा दिया । मरीज को शान्ति से सोते देख उसका पुत्र बोला - __ "डॉक्टर साहब ! पिताजी तो शान्ति से सो रहे हैं । उनका दर्द तो पूर्णतः गायब है, वे तो अब एकदम ठीक हैं, अब व्यर्थ ही पेट चीरने से क्या लाभ है?" डॉक्टर ने समझाते हुए कहा - "मार्फिया का इन्जेक्शन लगाया है, अतः शान्ति से सो रहे हैं । छह घंटे बाद देखना - जब इन्जेक्शन का असर समाप्त होगा, तब फिर वैसे ही तड़फेंगे ।" डॉक्टर की बात को बीच में काटते हुए वह बोला – “वैसे ही क्यों तड़फेंगे? हम दूसरा इन्जेक्शन लगवा देंगे। कितने में आता है यह इन्जेक्शन ? दस रुपये में और हर छह घंटे में लगाना होगा न ? दिन
SR No.009440
Book TitleAatma hi hai Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages239
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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