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सुखी होने का सच्चा उपाय
"निःस्वार्थभाव और पवित्र हृदय से सही दिशा में किया गया सतत् प्रयास कभी असफल नहीं होता" - मेरी यह दृढ़ आस्था मुझे सुविचारित मार्ग पर निरन्तर चलते रहने के लिए सतत् प्रेरित करती रहती है ।
सफलता उत्साह को बढ़ाती है और असफलता उत्साह को भंग करती है । सफलता के संगम से अन्तर की सतत् प्रेरणा जब उल्लसित हो उठती है तो सही दिशा में किए गए सत्प्रयासों में एक अद्भुत गति आ जाती है ।
वीतरागी तत्त्व के प्रचार-प्रसार के पावन उद्देश्य से यू.के. (इंगलैंड) और यू.एस.ए. (अमेरिका-कनाडा) की लगातार की गई मेरी यह तीसरी विदेशयात्रा अन्तर की इसी उल्लसित प्रेरणा का परिणाम थी । __ इस वर्ष हम जहाँ भी गये, सर्वत्र विशुद्ध अध्यात्म का ही प्रतिपादन किया, क्योंकि अध्यात्म के लिए सम्पूर्णतः समर्पित अपने जीवन का एक पल भी व्यर्थ की चर्चाओं में बर्बाद करना इष्ट प्रतीत नहीं होता । ___ आश्चर्य की बात तो यह है कि विशुद्ध अध्यात्म की गंभीर चर्चा में वहाँ के लोगों ने जैसी गहरी रुचि ली, जिस उत्साह और मनोयोग से सुना तथा जिसप्रकार प्रफुल्लित होकर सराहा; उसकी हमने कल्पना भी न की
थी। ____ सर्वाधिक प्रसन्नता की बात तो यह है कि यह सब-कुछ क्षणिक साबित
नहीं हुआ, अनेक लोगों पर इसका स्थाई प्रभाव पड़ा है । । उक्त सन्दर्भ में डिट्रोयट (मिसीगन-अमेरिका) से प्राप्त एक पत्र के कतिपय अंश दृष्टव्य हैं । ध्यान रहे यह पत्र जुलाई, १९८६ में सम्पन्न शिविर